आज रावण को रावण ने मारा,
उसको जलता देखने को रावण ही आये।-
हे रावण तुम्हारी जय हो,आज सर्वत्र तुम ही तुम हो, जल भी तुम रहे हो और जला भी तुम्ही रहे हो कलयुग में तुम अमर हो, राम तो अंतिम बार महज तुलसी से मिल कर चले गए थे लेकिन तुम आज भी इस देश के लगभग हर परिवार में, समूचे समाज में, हर वर्ग में, हर जाति में, गरीब में, अमीर में, शासन में, जनता में प्रेरणा बनकर जिंदा हो। राम महज ग्रन्थों में हैं तुम कार्यप्रणाली में हो, राम खाली मुंह में हैं तुम अंतरात्मा में हो, राम तो बस लीला तक सीमित हैं लेकिन आज भी तुम यथार्थ रूप में यत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त हो प्रत्यक्ष समक्ष हो॥
हे रावण विवशता में ही सही लेकिन तुम्हें बारम्बार प्रणाम है-
रावण में गुरूर जरुर था,
पर हमसे ज्यादा उसमें इंसानियत थी।
कितना सौभाग्य शाली था रावण
जिसे मारने के लिए ख़ुद भगवान् को आना पड़ा।
हमे आज भी गर्व है रावण पर जिसे अपनी बहन के लिए अपने प्राणों की आहुर्ती दे दी।
और वो भाई ही कैसा जो अपने बहन के लिए इतना भी न कर सकें,
अंजाम तो उसे भी पता था कि बुरा होगा,
फ़िर भी जब तक जिया अपने आन बान शान और स्वाभिमान से जिया।
🙏🙏🙏-
राम राम तु भगवान हैं पर
रावण भी किसी से कम नहीं
सीता को तो जलती आग मे जाने दिया
उसी सीता को बिना हाथ लगाए लंका मे उसने रख लिया
पति होते हुए पति धर्म न निभा पाए
बहन बनी जिसकी इज़्ज़त खातिर मर्यादा मे रहना तो आये
राम राम तु भगवान सही पर रावण भी किसी से कम तो नहीं।-
रावण ही खुद रावण का,
अब पुतला सभी बनाते।
मन में पाप भरा है सबके,
रावण पुतला हैं जलाते।
अंदर ही सबके रावण हैं,
नही खुद में झांक हैं पाते।
बनने चले हैं राम सभी जन,
रावण रूप अपनाते।
अधर्म पाप और व्यभिचारी का
रास्ता सभी अपनाते।
राम के परम भक्त हैं जैसे,
दुनियांभर में दिखाते।
राम मार्ग पर चले न कोई,
सब status हैं लगाते।
रावण ही खुद रावण का,
अब पुतला सभी बनाते।
-
श्री राम और लक्ष्मण को रिझाने वाली सूर्पनखा,
अपने भाई विभीषण को बदनाम कर गई,
रावण का सर्वनाश का कर गई,
अपने ही कुल-परिवार का सत्यानाश कर गई।
ना रावण के अंत समय पर आयी,
ना विभीषण के राज्याभिषेक पर आयी,
ना जाने सूर्पनखा कहाँ गई!!!!!!!!
और सीता.... निरर्थक बदनाम हुई ।😔
-
हां मैं श्री राम सा पिया नही रावण सा भाई चाहती हूँ
अपनी इज्जत पर आंच आने पर सीता को जरूर हर लाया था
किसी और की इज्जत को हाथ न लगया जंग ए ऐलान जरूर कर आया था
युद्ध चाहे वो हार गया सीता को गीता सी पवित्र राम को लौटाया था
लड़े थे युद्ध राम जिसके खातिर जीत कर भी न उसे अपना पाये थे
अग्निपरीक्षा के कटघरे में सीता पर सवाल उठाये थे
सीता सी अग्निपरीक्षा नही मैं राखी का वचन चाहती हूँ
हां में श्री राम सा पिया नही रावण सा भाई चाहती हूँ-
हर तरफ रावण ही रावण,
राम कब तक आयेगे,,
नारी यहाँ व्याकुल व्यथित है,
आके कब समझाएगे,,
हर तरफ--------------
🌫️🌫️🌫️🌫️🌫️🌫️🌫️
🙏विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
-
तुम मुझे रावण ही कहा करो मुझे गर्व सा होता है,
सुना है आज का इंसान हैवान से भी बुरा हो गया है।-
रावण तो पराक्रमी और परिवारिक था
वो अपने दुश्मन से कभी नहीं हारा था,
रावण की भुल और शक्ति का साहस था
उसे राम ने नही उसके भाई ने मारा था....-