तुम कहो जितना मोह माया इसे
ये उतना ही जाल बिछाए गा
प्रेम नगर में प्रेम रोग से
लगता है आवारा बच न पाएगा
मन में भ्रम पाले न जाने कितने
कितनो से आस लगाए गा
है अमीर दिल बहुत मगर
इश्क़ की चौखट पर फकीर बन जाएगा
मांगेगा दिन रात जिसे रब से दुआ में
वो किसी और के हक में आएगा
किस्मत कहो या हादसा
इश्क़ के दलदल में फंसकर दिल बहुत पछताएगा
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