He - कलयुग का राम हूँ,
तू द्रौपदी न बनना !
राम-सीता की जोड़ी,
यूँ ही बदनाम न करना !!
She - कलयुग की सीता हूँ,
तू कृष्ण न बनना !
राम-सीता की जोड़ी,
यूँ ही बदनाम न करना !!-
बारिश के मौसम में..
चाय और पकौड़ी का होना उतना ही आवश्यक है..
जितना रामायण के धरातल पर राम और सीता का होना..
और चटनी तो हनुमान है भईया..
भक्त के बिना भगवान पूर्ण हो सकते हैं भला?
😍❤😇
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विश्वास का धागा
यू तार तार ना करना!
मैं तुमको जानू
तुम भी मुझे समझना!!
इसलिए एक बार और कहता हूँ
ये राम सिया की जोड़ी को ,
बस यूं ही बदनाम ना करना!!!-
एक सीता का साथ हो तो,
ज़िंदगी कितनी ख़ास है
फिर पता नही क्यों ?
लोग कहते इसे 'वनवास' है ।-
जो मैं परुषोत्तम राम जैसे बन भी जाऊ।
याद रखना वनवास तुम्हे फिर भी सहना है।।-
पा न सकी प्रेम राम का,है वो पीर जानकी,
उम्र भर बही आंखों से राम के,है वो नीर जानकी।।
राम ख़ुद को ही राम बनाते रह गए,
राम को भी छोड़ राम से आगे हुयी जानकी।।-
रोम रोम में राम बसे
और सांस सांस में सीता
लछ्य हैं बस भक्ति का
लछमण की तरह सीधा
हिमान्शु अग्रवाल-
अपने अपने नज़रिये की बात है
किसी के लिये ताजमहल मोहब्बत की निशानी है तो
किसी के लिये रामसेतु
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जो लोग सीता जी के राज्य निष्कासन के लिए श्रीराम जी को दोषी मानते हैं तो उन्हें यह याद रखना चाहिए कि सीता जी कोई साधारण स्त्री नहीं थीं और श्रीराम जी के लाख मना करने पर भी अपनी इच्छा से वन को गई थीं , वह इतनी कमजोर कभी भी नहीं हुईं कि उन्हें किसी की सहायता की आवश्यकता होती।
चिंतन कीजिएगा 🙏
- कुमार आशीष-
अपने मुकद्दर से ख़ुदा भी नहीं जीता
मिलकर भी कभी नहीं मिले "राम - सीता"
समाज ने दोनों के बीच खींची दूरियों की रेखा
आखि़र में रो कर चीर दिया प्रथ्वी ने अपना सीना
और छोड़कर प्रभु श्री राम को
सदा के लिए प्रथ्वी में लीन हो गई सीता माता।
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