हे स्वरकोकिला हे, वीणावदिनी माॅं!
मेरे मन में विराजित अंधकारमयी
विकारों को दूर करो माॅं।
नये और ज्ञानमयी स्वरों को मुझे
प्रदान करो माॅं, अपनी छाया में
रखकर मेरा सहारा बनो माॅं।
रख कर अपना हाथ मेरे सिर पर,
मेरा जीवन उजियारा करो माॅं।
मेरी बेरंग - सी दुनिया में कुछ
रंग - बिरंगे रंग बिखेर दो माॅं।।
हे वीणावदिनी माॅं, ज्ञान, वाणी,
बुद्धि, विवेक, विद्या का आशीर्वाद
मुझे दे दो, सफ़लता से रूबरू करा दो।-
हर तिमिर अज्ञान का अब तो
ज्ञान चक्षु खोल दो माँ
कर दो आलोकित मन मस्तिष्क
हृदय में करो निवास माँ
हो झंकृत मानस हृदय में
वीणा के तार
सुर ऐसा कोई छेड़ दो माँ
पल्लवित हो बसंत हर आत्मा में
मोक्ष-अमृत रस घोल दो माँ...!
वीणावादिनी वरदायिनी वाग्वादिनी
लीजिए निज शरण कर जोड़ करूँ वंदना
विनती करो स्वीकार माँ...!!
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🙏🏽🌺 सरस्वती वंदना 🌺🙏🏽
हे शारदे माते हमें, दो ज्ञान वीणावादिनी
वर माँगते हैं आज हम, वर दो हमें वरदायिनी
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सच राह पर हम सब चलें, करते रहें सबका भला
मन से, वचन से, कर्म से, हमसे कभी न हो बुरा
मंगल - अमंगल आपके, सब हाथ में शुभदायिनी
वर माँगते हैं आज हम, वर दो हमें वरदायिनी
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दो बोल मीठे तुम कहो, दो बोल मीठे हम कहें
संगीत वीणा के बजें, फिर गीत मन भावन बनें
सबके हृदय में माँ बसो, सुर दो हमें सुरदायिनी
वर माँगते है आज हम, वर दो हमें वरदायिनी
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माँ धीरता के साथ हमको, वीरता का गुन मिले
आवाज़ जनमन की बनें जन-जन से अभिवादन मिले
आशीष दो चलती रहें माँ, हम सभी की लेखनी
वर माँगते हैं आज हम, वर दो हमें वरदायिनी-
ओम महाबाला नमः
ओम भारती नमः
ओम भामा नमः
ओम ब्राह्मी नमः
ओम पद्माक्षी नमः
ओम विमला नमः
ओम मालिनी नाम:
अतः श्री माँ सरस्वती नमः-
वीणावादिनी हे माँ शारदे, वीणाधारिणी हे माँ शारदे,
अपने शुभ आशीष से, कर कंठ को सुविचार दे !!
श्वेत सरसिज वासिनी, संगीत का हो पुण्य धाम,
ज्ञान का अखंड दीपक, जलता है माँ तेरे नाम,
अंधकार से अभिभूत जीवन, को हे माता तार दे,
वीणावादिनी हे माँ शारदे, वीणाधारिणी हे माँ शारदे!!
द्वेष मन से मिट सके, हर असाध्य साध्य बना सके,
तमस के कोनों में हम सभी, ज्ञान बाती जला सके,
अपनी करुणा से मेरे, हर कृत्य को तू संवार दे,
वीणावादिनी हे माँ शारदे, वीणाधारिणी हे माँ शारदे!!
हम लिख सके पीड़ा सभी की, तेरी करुणा से हे माँ,
हम लिख सके जो सत्य है, कभी झूठ से न डरे हे माँ,
संकल्पकृत हो हम सभी, इस अकथ्य को स्वीकार दे,
वीणावादिनी हे माँ शारदे, वीणाधारिणी हे माँ शारदे!!-
हे हंसवाहिनी वाग्देवी , चित्त प्रकाश जगाओ ।
वीणापाणि माँ तू शारदे , कुल अज्ञान मिटाओ ।।
संपूर्ण विकार हरो मन के , ज्ञान पुंज बिखराओ ।
हे वागीश्वरी माँ भारती , उर में आस दिलाओ ।।
हम अज्ञानी मूढ़ मन्द मति , कृपा दृष्टि बरसाओ ।
हे शतरुपा हे श्वेताम्बरी , हमको पथ दिखलाओ ।।
नव उल्लास भरो जीवन में , नूतन ज्योत जलाओ ।
हे शुक्लवर्णा हे माँ विमले , हमको अब अपनाओ ।।-
हे माँ वीणा वादिनी मुझको इतना वर दे
मैं लिखूँ जो ग़ज़ल उसको कमल कर दे
हे माँ सरस्वती मुझको इतना वर दे
मैं लिखूँ जो ग़ज़ल उसको सरल कर दे
हे माँ गंगे मुझको इतना वर दे
मैं लिखूँ ग़ज़ल उसको निर्मल कर दे
हे माँ लक्ष्मी मुझको इतना वर दे
मैं लिखूँ जो ग़ज़ल उसको चंचल कर दे
हे माँ दुर्गे "नक़्श" को इतना वर दे
मैं लिखूँ जो ग़ज़ल उसको अटल कर दे
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हे वीणावादिनी!माँ शारदे श्रृंगार हो तुम साज का
हे ज्ञान दायनी माँ सरस्वती भण्डार हो तुम ज्ञान का
माँ शारदे ममतामई मुझे ज्ञान का वरदान दो
हे माँ सरस्वती अम्बे मेरा अज्ञान का तम हरो
मिट जाये दुर्बुद्धि मेरी माँ विमल मति दो
अज्ञान हरो सद्बुद्धि दो माँ ज्ञान का प्रकाश दो
आये शरण में माँ तेरी निर्बल हैं हम अज्ञानी हैं
मिट जाये दुर्बुद्धि दुर्गुण अंतर्ज्योति का प्रकाश दो
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हे शारदे माँ.. हे शारदे माँ..
इस बार बस इतना वरदान दे माँ
चहुँ ओर अँधेरा खो दे अस्तित्व अपना
उजाले का हर मन को अभयदान दे माँ
बस नर सेवा ही बने धर्म यहां सबका
प्यार का हर दिल में गुणगान दे माँ
पीली चुनरिया बस हर खेत में लहरे
किसानों को भी सुख का कभी संज्ञान दे माँ
धर्म जाति के भेद हो विलुप्त हर जन से
इस दुनियाँ को अब ऐसा ही ज्ञान दे माँ
हे शारदे माँ.. हे शारदे माँ
इस बार बस इतना वरदान दे माँ-