"नक़्श" ख़्वाहिश थी कि गम दुनियां के दूर करूँगाआलम ये है कि अपने ग़मों से फ़ुर्सत नहीं मिल रही -
"नक़्श" ख़्वाहिश थी कि गम दुनियां के दूर करूँगाआलम ये है कि अपने ग़मों से फ़ुर्सत नहीं मिल रही
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"नक़्श" वो आसमाँ क्या चूमेंगे जिन्होंने न देखे कभी छाले हैंआज जिनके फाँके हैं लाले हैं वो ही वतन से सच्चे रखवाले हैं -
"नक़्श" वो आसमाँ क्या चूमेंगे जिन्होंने न देखे कभी छाले हैंआज जिनके फाँके हैं लाले हैं वो ही वतन से सच्चे रखवाले हैं
दर्द लिखूँ, ज़ख्म लिखूँ या खूँ लिखूँअपनी कहानी का क्या उन्वान लिखूँ -
दर्द लिखूँ, ज़ख्म लिखूँ या खूँ लिखूँअपनी कहानी का क्या उन्वान लिखूँ
"नक़्श" देख कर ख़ुशी अपनी रोना आ जाता हैहँसूँ जब भी हँसते 2 मुँह को कलेजा आ जाता है -
"नक़्श" देख कर ख़ुशी अपनी रोना आ जाता हैहँसूँ जब भी हँसते 2 मुँह को कलेजा आ जाता है
रहम अब किसी पर खाता नहीं कोई वादे करते सब हैं निभाता नहीं कोई -
रहम अब किसी पर खाता नहीं कोई वादे करते सब हैं निभाता नहीं कोई
टूट जाते हैं जो इश्क़ में मोहब्बत नहीं छोड़तेलगाकर दिल मय से फिर मयकशी करते हैं -
टूट जाते हैं जो इश्क़ में मोहब्बत नहीं छोड़तेलगाकर दिल मय से फिर मयकशी करते हैं
इंसां इंसां नहीं ख़्वाहिशों की दुकान हैरहता है जमीं पर चाहता आसमान है -
इंसां इंसां नहीं ख़्वाहिशों की दुकान हैरहता है जमीं पर चाहता आसमान है
उड़ रहीं थी खिल्लियाँ सरफरोशों कीअहल-ए-वतन तमाशा देख रहे थे -
उड़ रहीं थी खिल्लियाँ सरफरोशों कीअहल-ए-वतन तमाशा देख रहे थे
यूँ तो तेरी ख्वाहिशें सब मुकम्मल थी "नक़्श"बस उसका अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत बोलना बाकी था -
यूँ तो तेरी ख्वाहिशें सब मुकम्मल थी "नक़्श"बस उसका अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत बोलना बाकी था
करूँ महसूस जब जब इन आँखों को नज़र आओ तुमकाश हर दम कानों में मीठे अल्फ़ाज़ों के गीत सुनाये तुम -
करूँ महसूस जब जब इन आँखों को नज़र आओ तुमकाश हर दम कानों में मीठे अल्फ़ाज़ों के गीत सुनाये तुम