दर्द लिखूँ, ज़ख्म लिखूँ या खूँ लिखूँ
अपनी कहानी का क्या उन्वान लिखूँ-
Suchitra Jaiswal
(सुचित्र जायसवाल "नक़्श")
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Joined 19 February 2018
14 NOV 2021 AT 17:18
14 NOV 2021 AT 14:31
"नक़्श" देख कर ख़ुशी अपनी रोना आ जाता है
हँसूँ जब भी हँसते 2 मुँह को कलेजा आ जाता है-
13 NOV 2021 AT 12:39
रहम अब किसी पर खाता नहीं कोई
वादे करते सब हैं निभाता नहीं कोई-
13 NOV 2021 AT 11:25
टूट जाते हैं जो इश्क़ में मोहब्बत नहीं छोड़ते
लगाकर दिल मय से फिर मयकशी करते हैं-
12 NOV 2021 AT 14:15
इंसां इंसां नहीं ख़्वाहिशों की दुकान है
रहता है जमीं पर चाहता आसमान है-
11 NOV 2021 AT 18:38
यूँ तो तेरी ख्वाहिशें सब मुकम्मल थी "नक़्श"
बस उसका अल्फ़ाज़-ए-मोहब्बत बोलना बाकी था-
27 FEB 2018 AT 14:27
हाल-ए-दिल को कोई मरहम अब काम न आयेगा
छू ले लव से लव मरीज़-ए-इश्क़ को यूँ आराम आयेगा-
11 NOV 2021 AT 8:11
करूँ महसूस जब जब इन आँखों को नज़र आओ तुम
काश हर दम कानों में मीठे अल्फ़ाज़ों के गीत सुनाये तुम-
10 NOV 2021 AT 21:48
ऐ ख़ुदा! कर महफूज़ मुझको उसको आँखों में
या मुझको उसकी आँखों का निगहबान कर दे-