Kiran Krishna Pathak   (किran कृष्णा)
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Joined 29 December 2019


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Joined 29 December 2019

फ़ूलों सी खिली रहे जीवन की फुलवारी
झोली में भरी रहे दुनिया की खुशियाँ सारी

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आए जहाँ में मिला
आप सभी का साथ
मिली ख़ुशियों की भोर
हुई रब के रहमत की बरसात

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सच्चा इश्क़ ज़िंदगी की नव किनारे लगाए,
इश्क़ की सौदेबाज़ी तो मझधार में डुबाए।

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"ज़िंदगी कोरा काग़ज़"
ज़िंदगी कोरा काग़ज़ थी, इस मंच ने लेखन में
भर दिया मंच ने आकर ख़ुशियों के बहुतेरे रँग
कभी ख़ुशी कभी ग़म लिखा हँसते मुस्कुराते
शब्द पिरोए कोरेपन्नों पर स्याही क़लम संग।

कोई राह न मिलती थी ना ही कोई मंज़िल,
कोरा काग़ज़ का मंच जैसे मिला हो साहिल।
मिलता सम्मान लेखनी को बढ़ता है हौसला,
दोस्त बहन भाई उत्साह बढ़ाते मंच पर हिलमिल।

बनकर दिल को धड़कन साँसों जैसा मंच मिला,
पतझड़ जैसी ज़िंदगी में खिल उठा है ये दिल।
शब्दों की धारा बही लेखनी ने बिखेरे शब्द कृष्णा"
तुम जियो हजारों साल हर पल दुआएं देता है दिल।

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YESTERDAY AT 11:21

सुबह सवेरे फूलों की मुस्कान
लगती है बहुत सुहानी
लिख देते कोरे काग़ज़ पर नित
नई एक कहानी

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15 OCT AT 22:35

अँधेरों से निकल कर
प्रकाश की ओर बढ़ते
जाना होगा
कोरे काग़ज़ पर लिख
कर मन के भावों को
इतिहास दोहराना होगा

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15 OCT AT 18:35

मोहब्बत का मुझ को किनारा मिला है,
अब क़िस्मत न रब से कोई भी गिला है।

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15 OCT AT 11:08

मैने सारी ज़िंदगी तुम्हारी
सादगी पर है हारी
कृष्णा" रब करें सलामत रहे
यूँ ही मुस्कान तुम्हारी

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14 OCT AT 19:11

बाहों में बाहें डाल कर होती आँखों ही आँखों में बात,
दिल से दिल का मिलन,होती रूह से रूह की मुलाक़ात।

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14 OCT AT 19:09

डिजिटल दुनिया में अब
किताबों का दौर हुआ कम
गए संस्कार सारे सबके यहाँ
है आँखों दौलत का भरम

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