Kiran Krishna Pathak   (किran कृष्णा)
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Joined 29 December 2019


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Joined 29 December 2019

मित्रता का रिश्ता अनमोल होता सबसे प्यारा,
थाम कर हाथ मित्र बनता डूबते का सहारा।
सफलता की ओर ले जाता बनकर सलाहकार,
सच्चा मित्र हर समस्याओं से कराता किनारा।
आँसू पोंछ कर दुःख बाँटने में रहता तत्पर,
खून से अलग मित्रता का रिश्ता होता प्यारा।
मित्र की सलाह मानो जो मंज़िल की ओर ले जाए,
सच्ची मित्रता देती है दुनिया का सुख सारा।
मित्रता रिश्ता है जो सुख दुःख में रहता साए
की तरह,
जुड़ा रहता आत्मा से बिपत्ति में बनता
मित्र का सहारा।
सोई क़िस्मत जगाता सच्ची राह दिखाता कृष्णा"
प्रेम त्याग बलिदान दे महकाता जीवन सारा।

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घर है स्वर्ग सा एक मंदिर जैसा है अपना
जिसमे बसती जान, है सारा परिवार हमारा

ख़ुशी अपार मिलती है यहाँ सबको हर पल
बहती है यहाँ हर पल प्रेम की अविरल धारा

रिश्ते सभी बड़े प्रेम से मिलकर निभाते हैं ,
बनते हैं सभी एक दूजे के जीने का सहारा।

प्रेम से खिल जाते हैं यहाँ दिल गुलशन जैसे,
जिसकी सुगंध से महक उठता है परिवार सारा।

मायूसी तो छू तक नहीं सकती यहाँ कृष्णा"
एक दूजे का दामन थाम भुला देते हैं ग़म सारा।

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बिल्कुल छुटकू आ जा आलू के
पराठे चटनी तैयार है .....

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तेरी चाहतों के रँग में मैंने जीवन रँग डाला,
सब कुछ भुला बैठा दिल चाहत में बेचारा।
तेरी चाहत का रँग ऐसा चढ़ा है मुझपर सनम,
चाहत के रँग के आगे बे'रँग लगे ये जग सारा।
❣️❣️
ज़िंदगी की हर साँस में चाहतों के रँग भरते भरते,
महक गई ज़िंदगी महका तन मन जीवन सारा।
ग़ज़ब की रँगरेज़ निकली सनम ये चाहत तुम्हारी,
रँग डाला अपने ही रँग में सब श्वेत रँग कर डारा।
❣️❣️
चाहतों के रँग रँग गया सतरंगी यह जीवन हमारा,
हृदय में चाहत बहने लगी बन प्रेम की अविरल धारा।
तेरी चाहत को तो बना कर ख़ुदा पूजा है हमनें ,
तेरी चाहत पर है कुर्बान किया यह जीवन सारा।
❣️❣️
जिस तरफ़ देखा आए चाहत के रँग इत उत नज़र,
दिल में बसा कर तेरी मूरत चाहतों के रँग से संवारा।
सब कुछ लुटा कर चाहत पर तन मन उसपर वारा,
कृष्णा" यही चाहत ही तो है जीने का एक सहारा।

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साँस लेते हैं मगर ज़िंदा लाश बनकर
तेरे बिना एक पल बरस लगता है
तू नहीं तो दुनिया वीरान लगती है
तू नहीं तो दिल को कुछ नहीं जंचता है

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यादों के बिना क्या ही ज़िंदगी है
तू नहीं है साथ तेरी यादों से हर ख़ुशी है
यादें तुम्हारा एहसास दिलाती है दिल को
कृष्णा"यादों के संग जीना ही सच्ची आशिक़ी है

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सो जाने दो इन बाहों में हर दर्द से होकर बे'ख़बर,
हर ग़म भुला तुझ संग कट जाएगा ज़िंदगी का सफ़र।

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इन हरी भरी वादियों में ढूंढते हैं तुझे दिलदार,
इस सुहाने मौसम में तू करता है क्यों बेक़रार।
तन्हाई में तड़प कर दिल कर रहा तेरा इंतज़ार,
कृष्णा"तू न आया ये दिल हारा तुझको पुकार।

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जब दोस्ती का नाम आता है उसमें कोई
छोटा कोई बड़ा नहीं होता घमंड बिल्कुल नहीं
करना चाहिए,क्यों न कितना ही शक्तिशाली क्यों न
हो।हाथी अपनी ताकत के बल पर रोज
चींटी को परेशान करता था रोज उसके घर
पर पानी डालता
था चींटी दोस्ती की दुहाई देती थी कि हम
सभी जंगल
मे रहने वाले दोस्त हैं, एक दिन हाथी लेटा
हुआ था तभी चींटी उसकी सूँढ में घुसकर
काटने लगी हाथी
चिल्लाने लगा कौन है मुझे पीड़ा दे रहा है जब चींटी निकली
तब हाथी को समझ आया कि शक्ति का अहंकार नहीं करना चाहिए।

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YESTERDAY AT 10:32

//एहसासों की छुवन//

तुम्हारे एहसासों की छुवन जब जहन को सताती है
बनकर गंधराज़ की ख़ुश्बूू तन मन को महकाती है

खो जाते हैं उन बीते उन ख़्वाबों ख़्यालों में हम
जब जब गुज़रे लम्हों की याद दिल को आती है

खुली किताब बनकर रह गई यह ज़िंदगी अपनी
हर शब्द बिखर कर पन्नों पर ग़ज़ल बन जाती है

अब न रहा वश में अपने कोई ख़्वाब न ये दिल
कृष्णा"तेरी यादें विरहन बना सारी रात जगाती हैं

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