QUOTES ON #महिला_सम्मान

#महिला_सम्मान quotes

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यदि पति पत्नी को किसी बात को लेकर पीट देता है तो कोई बात नहीं सब सामान्य है !!
अगर यही उल्टा हो जाएँ और पत्नी पति को पीट दे तो समाज और गाँव में हाहाकार मच जाता है, क्यूँ??🤔🤔

ये कैसा दोगलापन है मित्रों????

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14 SEP 2020 AT 9:32

अच्छे बनने की कोशिश में इतनी जल्दी करदी ।
सभी बड़ो की बात मानी बस यहीं गलती करदी ।।
बचपन में सभी मुझसे मोहब्बत करते थे ।
जवानी आते ही मैंने सिर्फ एक से मोहब्बत करने की गलती कर दी ।।
बच्चा समझ वो डरा रहा था मुझे ऊँगली दिखाकर ।
भागकर दूर खड़ा हुआ जब मैंने उसकी ऊँगली टेढ़ी कर दी ।।
साज़िश कर रहा था जो कत्ल करने की मेरी ।
सामने आते ही उसने मुझपर फूलों की बारिश कर दी ।।👇

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11 AUG 2020 AT 0:30

सवालों की बात करूं तो,
क्या स्त्री होना गुनाह है? या फ़िर है कोई श्राप?

स्त्री-पुरुष समान है ये सिर्फ कहने को है?
या वास्तविकता यही है?

तो फ़िर समाज में पुरुषों का बोलना उचित है,
और महिलाएँ अपनी बात रखी तो असंस्कारी क्यों है?

सहनशक्ति महिलाओं में होना अनिवार्य है,
फ़िर ये पुरुषों पर लागू क्यों नहीं होता?

पुरुषों को स्वतंत्रता है हर कार्य के लिए,
महिलाओं पर इतनी बंदिशें क्यों है?

कहने को है कि समाज में समान सहभागिता है पुरुष-स्त्री का,
पर वो बराबर के अधिकार से वंचित क्यों है?

एक तरफ़ दावा करते हैं कि हमारी सोच बहुत उत्कृष्ट है
फ़िर महिलाओं को मर्यादा दिखाने वाले कौन हैं?

क्यों है समाज में ऐसी बुराई अभी तक?
महिला होना तो सम्मान की बात है,
फ़िर ये हीनता की भावना कहाँ से पनपती है?

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8 MAR 2020 AT 8:33

एक औरत ने हर तरह अपना किरदार निभाया,
कभी माँ बन कर ममता को जताया तो,
कभी बहन बन कर सताया,
कभी दोस्त बन गले से लगाया तो,
कभी जीवनसाथी बन कर साथ निभाया,
कि उसने हर रिश्ते में प्यार बनाया
दुख चाहे लाख हों उस पर,
उसने फिर भी मुस्करा कर दिखाया,
कि तूने नारी का कुछ ऐसा व्यक्तित्व बनाया ।

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★ अब बहुत हुआ यार😡★
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एक ये जिस्म एक वो जिस्म,
सब तो महज शरीर ही हैं,,
मानवता दिखे उनमें,तो कुछ अच्छा लगे।
प्रशासन में दोष निकालने वालों,
और कैंडिल लेकर श्रद्धांजलि देने वालों,
खुद भी तो इंसान बनो, तो कुछ अच्छा लगे,

लाख बुराई समाज में,
पर तुम क्यों हैवान बने हो,
अपनी हवस की आग में,
किसी का पूरा संसार उजाड़ दिए हो,
कैद कर इन सापों को,दूध मत पिलाओ,
जो हैं हवसी,उनको सालों को हिजड़ा बनाओ।

मानवता जैसे इनमें मर ही गयी है,
पूरी कायनात ऐसे कृत्यों से डर गई है,
अब बहुत हुआ यार,
नैतिकता का पाठ तो इनको पढ़ाना ही पड़ेगा,
आज का युवा तो हो गया दिशाविहीन,
बताओ इन पापियों से कौन लड़ेगा????

परस्त्री को अपने बाप का माल समझते हो,
जब मदद करनी चाहिए तुमको किसी महिला की,
उस समय उस पर अत्याचार करते हो,
अबे सालों आधारकार्ड में male की जगह,
नपुंसक लिखवा लो,क्योंकि,,
बेसहारा नारी का जो बलात्कार करे वो मर्द कहाँ से हुआ?????

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आजकल जो घटनाएं हो रही है और जो घटित होती रही हैं 😓उन सभी के संदर्भ में :-
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कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला से और कोई भी महिला किसी भी व्यक्ति से दोस्ती-संबन्ध आदि बनाना चाहता है तो वो उस महिला/व्यक्ति से सम्मानजनक तरीके से बात करके, उनके मत और उनकी सहमति से कर सकता है, अगर दोनों उसके लिये पूर्णत सहमत हो जाये तो! जबरदस्ती से तो कतई भी नहीं🙏🙏 👍

दूसरी बात 👉किसी भी राह चलते महिला या लड़की को बेवजह परेशान नहीं करें ! 👉नोट:- अगर राह चलते कोई पसंद भी आ जाये [सच्चाई है इसलिए इसके लिए भी दो शब्द जरूरी है!]तो उनसे रुक कर बात करें, अगर वो भी आपसे बात करने को तैयार हो, अगर वो मना कर दे तो फ़िर कभी भी जीवन में उनका पीछा या परेशान ना करें!

अन्तिम और 👉महत्वपूर्ण बात :- कभी भी राह चलते किसी भी अनजान महिला और लड़कयों का बेवजह असभ्य और बुरे ढंग से बर्ताव ना करें! इसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा
धन्यवाद् 🙏🙏

नोट:- जो लोग मासूम बच्चीयों के साथ घिनौनी हरकत और कुकर्म करते हैं उन हरामी राक्षसों 😡के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है! ऐसे लोगों को तो पता चलते ही उन्हीं के घरवालों द्वारा मार देना चाहिए! हालाँकि कठिन है पर जरूरी भी ऐसे कुकर्मी को समाज से हटाना है 🙏🙏

ये जो भी बाते हैं व्यक्ति की गंदी मानसिकता को बदलने के लिए असरदार साबित हो सकती हैं !🙏

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8 MAR 2021 AT 21:06

हर रोज होता महिलाओं पर अत्याचार,
फिर ये कैसा "महिला दिवस" का त्यौहार।

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8 MAR 2021 AT 10:26

आईच्या आईपणाला ,
आईच्या त्या बाई पणाला...
नऊ महिने सहन केलेल्या कळांना ,
त्याकरिता मिळालेल्या बळांना..
दोन्ही घरसांभाळणाऱ्या ,
त्या सुहासिनीला...
तिच्यातील ,
कारभारणीला...
महिला दिनाच्या ,
मनस्वी शुभेच्छा !!

(शुभम देवकर)

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8 MAR 2020 AT 11:49

आशियाने हज़ार सजाती हूँ
बेशक उदास रह जाती हूँ।
खुद तन्हा ही सही
दुसरो की चहरो की मुस्कुराहट बन जाती हूँ।।
अहसास-ए-दिल दूर से ही कर लेती हूँ
पास आकर क्या समझाओगे तुम।
तन्हा ही आकर
उजड़े से अश्याने को गुलजार कर देती हूँ।
क्या खूब नजरिया है इस ज़माने का
चेहरे की मुस्कुराहट और अंदर के घाव नहीं समझ पाते है।।
फिर भी रोशन है यह जहाँ
अंदर सारे गम समा लेती हूँ ।।।

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27 AUG 2024 AT 1:12


अब बचता सिर्फ यह एक सवाल है
करना अब बेटियों को ही यह कमाल है
टूट पड़ें हैवानों पर काली का रूप लेकर
चालाकी से चलनी तुम्हें हर एक चाल है

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