बस... उनकी एक नजर ही काफी है..इस मिलावटी दूध को अमृत बनाने के लिये.किसी चांद की ख्वाहिष मैं क्यूँ करू.(Shubham Deokar) -
बस... उनकी एक नजर ही काफी है..इस मिलावटी दूध को अमृत बनाने के लिये.किसी चांद की ख्वाहिष मैं क्यूँ करू.(Shubham Deokar)
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जरा सा मुस्कुराना चाहते है,नशा सिर्फ आपके इश्क का करना जाणते है.जताना नहीं आता प्यार,पर आपहीसे बेइंतेहा करना जाणते हैं.पिने से अच्छा आपके साथ जीना चाहते हैं..बस यही सोच सोच कर..जरा सा मुस्कुराना चाहते है....(Shubham Deokar) -
जरा सा मुस्कुराना चाहते है,नशा सिर्फ आपके इश्क का करना जाणते है.जताना नहीं आता प्यार,पर आपहीसे बेइंतेहा करना जाणते हैं.पिने से अच्छा आपके साथ जीना चाहते हैं..बस यही सोच सोच कर..जरा सा मुस्कुराना चाहते है....(Shubham Deokar)
(Shubham Deokar) -
(Shubham Deokar)
उस चांद की तारीफ अब मुझसे ना होगी.अब तो तारीफ उनके सिवा किसी और की,उन्ही को अब बर्दाश्त नहीं होगी.(शुभम देवकर) -
उस चांद की तारीफ अब मुझसे ना होगी.अब तो तारीफ उनके सिवा किसी और की,उन्ही को अब बर्दाश्त नहीं होगी.(शुभम देवकर)
आस लगी है सनम,सांसे भी थमने लगी.इंतेजार ना हो रहा खतम,ना ये शाम ढल रही.(शुभम देवकर) -
आस लगी है सनम,सांसे भी थमने लगी.इंतेजार ना हो रहा खतम,ना ये शाम ढल रही.(शुभम देवकर)
उनके यादो की हिफाजत इस कदर की हमने,आज फिर किसिने प्यार से हमे देखा तो नजर झुकाली हमने.(Shubham Deokar) -
उनके यादो की हिफाजत इस कदर की हमने,आज फिर किसिने प्यार से हमे देखा तो नजर झुकाली हमने.(Shubham Deokar)
जब इश्क का और देशभक्ती का अंजाम एक ही है..तो किसिका रांझा बनने से अच्छा, मै भगतसिंह बन जाऊ. -
जब इश्क का और देशभक्ती का अंजाम एक ही है..तो किसिका रांझा बनने से अच्छा, मै भगतसिंह बन जाऊ.
शायद अभी भी किसी की कोई ख्वाहीश अधूरी रह गई..तभी तो आज फिरसे बारिश हो गई. -
शायद अभी भी किसी की कोई ख्वाहीश अधूरी रह गई..तभी तो आज फिरसे बारिश हो गई.
ऐ बादल तू जरा धीरे से गरज.,कही तेरे इन् हरकतो की वजह से उनकी निंद ना अधूरी रह जाये.. -
ऐ बादल तू जरा धीरे से गरज.,कही तेरे इन् हरकतो की वजह से उनकी निंद ना अधूरी रह जाये..
ख्वाब हमारे रुठ गए|ख्वाब हमारे छूट गए ||ख्वाबोके ये सिलसिले|ख्वाबोमेही टूट गए ||ख्वाबो की ये ख्वाहिशे|खयालो मे खो गए ||ना रूठे फिरसे|ये ख्वाब हमारे ||इसिलिये ख्वाब देखने|उनके खातिर खयालो मे खो गए ||(Shubham Deokar) -
ख्वाब हमारे रुठ गए|ख्वाब हमारे छूट गए ||ख्वाबोके ये सिलसिले|ख्वाबोमेही टूट गए ||ख्वाबो की ये ख्वाहिशे|खयालो मे खो गए ||ना रूठे फिरसे|ये ख्वाब हमारे ||इसिलिये ख्वाब देखने|उनके खातिर खयालो मे खो गए ||(Shubham Deokar)