Sunil Chaudhary  
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Joined 27 August 2019


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Joined 27 August 2019
7 NOV 2021 AT 18:49

इज़हार को हेर - फेर समझ, ना नजरंदाज कर,
ज्यादा - सा मैं करूं, तू थोड़ा - सा तो प्यार कर,
झुकी नज़र तेरी, उन्हें उठा कर इज़हार कर,
मैं हूं तेरा, ओ ज़ालिम थोड़ा तो ऐतबार कर।

ये मुस्कान, ये आंखें हसीं , सब कमाल है,
इनकी तारीफ़ में शब्दो की भी क्या मजाल है,
ये बिंदी, ये बालियां, मुझे खींचे तेरी तरफ,
तुझे महसूस हो, मेरे दिल का जो हाल है।

अकेली हैं ये तन्हा शामें, बस तेरा इंतज़ार है
एक तेरे दीदार को, कब से बैठीं तैयार हैं,
इज़हार को हेर - फेर समझ, ना नजरंदाज कर
ज्यादा सा मैं करूं , तू थोड़ा सा तो प्यार कर।

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4 OCT 2021 AT 14:23

मिले थे दो परिंदे एक अंजान डाल पर,
कुछ तो बात ज़रूर फिर हुई होगी ।

एक तूफ़ान गुजर चुका था ज़िंदगी से,
फिर उसे देख राहत तो मिली होगी ।

कभी सो जाता था जो वक्त से पहले,
उसके इंतजार में हद भी की होगी ।

गलत न था दोनों में से एक भी,
गलतफहमी कहीं तो रही ही होगी ।

वो एक अर्से से इंतजार में उस डाल पर
कुछ तो मोहब्बत उसने भी की होगी।

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30 AUG 2021 AT 2:35

हो कैसे बयां, अंदर ज़लज़ला और तूफ़ान है,
मेरी खामोशी देख, यहां हर शख्स हैरान है,
कभी हुआ करता था जो तलवार की धार सा,
वो शख्स अब खुद के लिए बना म्यान है।।

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16 AUG 2021 AT 1:38

देखो ये भी क्या कमाल की बात हुई है,
आसमां की जगह आंखों से बरसात हुई है
कभी हंस कर रोज पूछता था हाल मेरा,
और अब एक अर्से से नहीं बात हुई है।

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17 JUL 2021 AT 1:59

चंद शब्दों में सुलझ जाता मसला मेरा,
उसकी ख़ामोशी ने खेल बिगाड़ दिया
छोड़ गुरूर, कई बार बढ़ाया हाथ मैंने,
ना कर बात, उसने पल्ला झाड़ दिया।।

माना तू हुस्न है, एक गुरूर रखती है,
यकीं कर मेरा, हस्ती मेरी भी नहीं सस्ती है
मैं खुल कर हर इज़हार को तैयार हूं,
जो तू बुढ़ापे तक जाने की हिम्मत रखती है।।

ना दूर जाने की हिम्मत है, ना तू पास है,
लिखता जरूर हूं , पर शब्द मेरे उदास हैं
देख मिटा दे दूरियां , तू दिल से अब,
वर्ना मजार पर दिए का दिन बहुत पास है।।

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18 JUN 2021 AT 3:06

तू बात कर ना कर तेरी याद आती रहेगी,
सुन जान की फिक्र छोड़ दी अब हमने,
देख , ये जान यूहीं अब जाती रहेगी।

एक तेरा छोड़ जाना याद है मुझे,
कभी मौत पर भी न रोया जो शख्स,
वो फूट कर रो जाना भी याद है मुझे।

ये कैसे दिन मेरे करीब आ रहे हैं,
मैं सपने ना भी देखना चाहूं उसके,
फिर भी वो रातों रात मुझे आ रहे हैं।

तुम जब से गए हो इंतजार में है हम
ऐसा न हो की तुम आओ और,
देखो , हम पर फूल लगाए जा रहे हैं।

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7 JUN 2021 AT 15:37

मेरी हद क्या है , ये तुम जान नहीं पाए,
ना जाने कौन - कौन से तुमने खेल रचाए।

मैं यकीं दिलाता रहा ,तुम हंस कर टालते गए,
मोहब्बत थे तुम , ये पहचान ही नहीं पाए।

ना मैं रांझा शहर का, ना ढूंढी मैंने कोई हीर है,
मैं आज भी वहीं खड़ा हूं, तुम पलटकर नहीं आए।

और हां , ना खाई मैंने झूठी कसमें तेरे साथ में,
निभानी कैसे हैं , ये मुझे याद आज भी है।

और ये खुले आसमां के दोनो परिंदे क्यूं दूर हैं,
लाख कोशिश, पर शक की दीवार आज भी है।

तुम इस खेल को, खिलाड़ी होकर खेल रहे,
'गुरु' चुपचाप देख रहा, ये तुम जान ही नहीं पाए।

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19 MAY 2021 AT 23:35

कि बरस लिए हो तो थम जाओ अब,
वर्ना हम जो रोए संभाल नहीं पाओगे,
और तुम क्या रोए याद करके उसको,
जो हमने किया, शर्म से डूब मर जाओगे।

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18 MAY 2021 AT 12:25

कई दबे सवाल जेहन में,
अब मुझे जवाब बनने दे,
तप कर इस आंच में,
मुझे ख़ुद की ढाल बनने दे।

कि ये दुनिया ज़ालिम है,
डकार भी ना लेगी खाकर,
हर तरफ़ फरेब है अब,
मुझे खुद का पहरेदार बनने दे।

नफ़रत फैल रही है यहां अब,
लोग एक दूसरे के प्यासे हैं,
सब देख रहे स्वार्थ अपना,
मुझे निस्वार्थ की मिशाल बनने दे।

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22 APR 2021 AT 16:41

सारा शहर नशा है, मुझे भी डूब जाने दो,
पीने दो इतनी फिर, अब ना होश में आने दो,

जो खोया था अर्शे पहले, उसे याद आने दो,
टुकड़ों को समेट कर, फिर वो तस्वीर बनाने दो,

मैं तैयार हूं, तुम जाम को गले तक आने दो,
ये सारा शहर नशा है, मुझे भी डूब जाने दो,

इन टूटे ख्वाबों का , मुझे मोल भाव लगाने दो,
जो उम्मीदें थीं उससे , उन्हें बिखर जाने दो,

कोई यकीं की दवा हो, वो मुझको भी लाने दो,
लोग खफा हैं बहुत, अब मुझे रुखसत हो जाने दो।

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