QUOTES ON #मगरमच्छ

#मगरमच्छ quotes

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7 DEC 2021 AT 21:31

नहीं अश्क़ों का ताल्लुक़ सिर्फ़ दर्दे दिल से होता है।
ख़ुशी में भी ये रिश्ता चश्म से बरबस निभाते हैं।
नहीं हैं मुन्तज़िर कोई बुलावा इनको भी भेजे।
बुलाने पर तो ये केवल मगरमच्छो को आते है।

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मगरमच्छ की पीठ पर
बैठकर जामुन खाने
के लिए नदी में जाने से
बेहतर है चुपचाप
अपने पेड़ पर
बैठे रहना।

👌 चतुर सोच 👌

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16 NOV 2019 AT 17:54

परिंदे पिंजरों में पर महफ़ूज है,
आसमानों में ज़हर खूब है,
कैद खुद को कर तो ले घर ही में,
घर में मगर अज़गर खूब है।

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4 JAN 2021 AT 9:55

जाना चाहती थी एक लड़की तालाब के उस पार,
परंतु उस तालाब में थे कई मगरमच्छ अपार ।

मगरमच्छों को देखकर लड़की बहुत डर पड़ी,
कैसे करूं तालाब पार यह समस्या आन पड़ी ।

बूढ़ा एक मगरमच्छ लड़की के पास आ गया ,
करे शर्मिन्दा इंसान को ऐसी बात कह गया ।

तालाब पार कर लो बहन हमसे तुम घबराओ नहीं,
हम तो सिर्फ मगरमच्छ है हम कोई इंसान नही ।

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22 AUG 2020 AT 11:01

लोग करे 'अहा' टेस्टी के डिमांड
मोड़ी करे 'हाहा' टेस्टी के माँग
तो लो भैया मोड़ा कलम अपने पैरों पे खड़ी होये गयी ....
"फनी टेस्टी लिखै चले हैं , मोड़ा मोड़ी का
पूछे सबसे का-का लिखै, धरा निगोड़ी का"

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19 DEC 2019 AT 14:07

वो दिन थे कितने अच्छे,

जब हम सभी थे बच्चे,

माना थे अक्ल के कच्चे,

पर दिल के थे हम सच्चे।

अब हम सभी हैं पके हुए,

ज़िंदगी से जैसे हों थके हुए,

न कोई लोरी न ही दादी नानी की कहानी,

बस जुटे हुए हैं कि चल जाए खर्चा पानी।

अब हम सब कहलाते हैं सयाने,

सुनाते हैं अपने ग़मों के फसाने,

दुनिया भर के बना लेते हैं बहाने,

और लगते हैं आंसुओं से नहाने।

अब हम सब ही मगरमच्छ हैं,

और ज़िंदगी का यही सच है।

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22 APR 2020 AT 20:38

ना जाने क्यों पर फिर भी
मगरमच्छों से भरे दलदल में
ख़ामोश रहकर झेलेगा जिंदगी

कौन समझेगा उसे अपना
वो फूल तो बस अकेला ही
किसी तरह झेलेगा जिंदगी

घड़ियाली आंसू भी बहा देंगे
साथवाले कभी दुखी देखकर
हर दुख में वो रहेगा अकेला ही
कुछ करके काट लेगा जिंदगी

दोष यही देंगे वो सारे मिलकर
गलती उस फूल की थी हमेशा
जो यहां निकल आया फिर भी
किसी तरह काट लेगा जिंदगी

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8 SEP 2020 AT 12:56

कितनी गलत कहावत बनी है...
एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है।
लेकिन जो मगरमच्छ और घड़ियाल
तालाब में घूम रहे हैं वो..
वो शायद सफाई के रोल मॉडल हैं।
इसके विपरीत यदि एक मछली ही
सारे तालाब को साफ करने निकल पड़े तो...
तो क्या होगा....?
भविष्य बताएगा....!

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24 MAY 2021 AT 18:49

नौटंकी...
कितनी "नौटंकी" करोगे?
सब कुछ "बेच" दिया है तुमने
अब क्या नयी "चाल" चलोगे...?
"मगरमच्छ" के "आंसु"
"हमें" ना दिखाओ...!
हो सके तो,
जो कुछ "बचा" है
उसे "संभालो"
नहीं तो अपना "झोला" उठा लो
और चले जाओ...!
"फकिरोंके" राजा
"तुम्हारी" वजहसे
"बेजार" हुई है "प्रजा"...!
अब "मान" भी जाओ
"तुमसे" ना होगा "देश" चलाना
तुम "चाय" का "ठेला" ही चलाओ
और हो सके तो "हिमालय" चले जाओ
और बचे हुए कुछ दिन "प्रभु" के गुण गाओ
वही पर "एकांत" में "मन की बात" सुनाओ
अब बस भी करो हमें "शांती" का "पाठ" न पढाओ

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12 JUL 2018 AT 13:42

मगर-मच्छ के आँसू बहाता... तो कोई खून के आँसू रोता
मगर लोग बदलते इस जहाँ मे... रिश्ता तो वहीँ प्यारा होता
जहाँ अगर न मगर देखा जाता...दिलसे रिश्ता सींचा जाता

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