उठो कलमकार शस्त्र उठाओ, रणभूमि में युद्ध का आह्वान कर दो,
छोड़कर कलम को तुम अब, शत्रुओं को सावधान कर दो,
कलम उठाई थी तुमने, सोचा था कलम से जागृति फैलाओगे,
विधर्मियो के षड्यंत्र को रोकने, हर एक योद्धा को उत्पन्न कराओगे,
ये मात्र अपने निजी स्वार्थ से भरे पड़े, अपने ही काम से मतलब रखने वाले है,
सहन करेंगे अनंत अत्याचारों को, पर शस्त्र नहीं उठानेवाले है,
मातृभूमि पर ये बड़ी चुनौती आई है, तो तुम्हे धर्म का संरक्षण करना ही होगा,
हे कलमकार छोड़ दो कलम अब तो, तुम्हे शस्त्र को धारण करना ही होगा।-
ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ||
अर्थ :- जो एक नीले पर्वत के रूप में चमक रहे हैं, नीले रंग के समान चमक रहे हैं। श्री शनि देव काले रंग के हैं। सूर्य देव मार्तण्ड (सूर्य देव का दूसरा नाम) के पुत्र हैं। श्री शनि देव छाया (माता ) से पैदा हुए हैं। श्री शनि देव यम देव के भाई हैं, जो बहुत ही धीरे धीरे चलते हैं, उन श्री शनि देव को नमन करता हूँ,-
जब होगा कलयुग चरमसीमा पर अपनी,
अति पापो के भार से त्रस्त होगी मां अवनी,
ना होगा सज्जन मानुष, होगा पाप पृथ्वी पे अपार,
तब लेकर कल्कि अवतार नारायण करेंगे पापियों का संहार,
युक्त होगा चौसठ कलाओं से ये अवतार,
कलंक होगा नहीं तब कहलाएगा नकलंक अवतार,
ले जायेंगे इस संसार को अधर्म से धर्म की और,
पहुंचेगा यह संसार असत्य से सत्य की और,
दुष्टता का विनाश कर सज्जनता की रक्षा करेगा यह अवतार,
फिर से दुनिया का उद्धार करेगा नारायण का कल्कि अवतार।-
मायूस होता है दिल ये हर पल मेरे यारो के बिना,
जैसे वो आसमां अधूरा हो चांद सितारों के बिना,
दिल को करार आया हो तो वो है सिर्फ यारो से,
जैसे बाग में कोई फूल महकता हो बहारों से।-
करता हूं लाख प्रयत्न अपने परिवार को खुश रखने,
पर फिर भी निष्फल हो जाता हूं,
होती है अगर कोई मुझसे नन्ही सी भूल
तो परिवार की नजरों में थोड़ा सा नीचे गिर जाता हूं,
वो सबसे बड़े मूर्ख नारीवादी जो
बेटियों को फूल और बेटो को कंटक समझे,
पर फूल तो कंटको से ही रक्षित होता है
ये बात कोई कैसे समझे,
मां बाप की तकलीफे तो सिर्फ बेटियां ही समझे,
बेटा तो समझे नहीं,
पर देता हूं बलिदान अपने लाखो स्वप्नों का खुश रखने परिवार को,
पर ये उद्धंड संसार समझे नहीं,
दर्द लगता है जब भी ह्रदय में
तो किसी कोने में जाकर रोता हूं,
मानव हूं; मेरा मन भी कोमल है कोई कठोर पाषाण नहीं,
थोड़ा सा प्रेम मुझे भी दो; क्योंकि में एक बेटा हूं।-
अगर सही परवरिश करेंगे तो चाहे बेटा आए या बेटी, आपके लिए सौभाग्य लेकर आएंगे, लेकिन गलत परवरिश करोगे तो चाहे बेटा हो या बेटी, आपके लिए वो दुर्भाग्य लेकर ही आएंगे ।
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By the root the trees draws a water
and leaves it in the atmosphere,
That's how the atmosphere stays cool,
That's why the tree has a tungemål,
Draws water through the root,
Sunlight receives from its leaves,
and the tree grows,
Trees eats food like this,
A tree once cut grows again,
That is why there is consciousness in the tree,
Never cut these trees,
please save the trees.
The whole forest smells of a fragrant tree,
As like as ,the whole family is adorned by a virtuous son,
Tree and son are virtuous,
without them everything is useless.-
Part 1
Bharadwaj asks Bhrigu,
"Is there life in the tree ?"
Bhrigu replied to Bharadwaj,
"yes there is life in tree."
The vine wraps around the tree,
and slides around away,
Even if it has no vision,
but still finds a way.
Trees becomes healthy
By holy-unholy smell,
and flowers grow,
That's why trees can smell.-