कोरोना काल में भोज नहीं करना
क्योंकि मृत्यु भोज नहीं खिलाना-
भोज में वही आमंत्रित होते हैं, जिनके पास भोजन है,
वो नहीं जिनके पास भूख है।-
ज़िंदगी एक किताब जैसी हैं,
हर दिन एक ख़ाली पन्ने जैसा हैं,
कोशिश करना इन पन्नो पे कुछ ऐसा ना लिखा जाए,
जिससे बाद में पढ़ के तुम्हें अफ़सोस हो,
और जिसकी वजह से तुम्हारे दिल पे कोई भोज हो।-
आज फिर से नई सुबह का सूरज जलवा अफ़रोज़ हुआ है
किसी के हिस्से में शाद,तो किसी में लबरेज सोज़ हुआ है।
सूरज का उदय, भावनाओं का बहाव एक प्राकृत क्रिया है
हर किसी को प्रकृति के संचरण से प्रेम किसी रोज़ हुआ है।
मुझे नहीं लगता महज सूर्योदय से सबकुछ बदल जाता है,
सिर्फ़ कर्म के उचित चयन से ही ख़ुशी का उद्घोष हुआ है।
हर दिन की पुरानी लड़ाई है, तुमने कर ली हठ से सगाई है,
हर तरफ़ नफ़रत की खेती में इजाफ़ा बेरोक-टोक हुआ है।
नींदे गिरवी रख दी हैं, ताकि मेरे संचित ख़्वाब टूट न जाएँ,
तुम्हारे हाथ छोड़कर जाने में कोई तो पैदा अवरोध हुआ है।
खुद को बदलना मुमकिन, बदलने की प्रक्रिया का हिस्सा बन,
अभी रति के साक्षात्कार से विरक्त मन मेरा मनोज हुआ है।
टूटना मत मैं कहीं भी रहूँ तेरी हूँ,ये कथ्य बहुत मेरे जीने को,
अतृप्त कामनाओं के भोज से, मोक्ष मार्ग का खोज हुआ है।
दमन ना कर चाहत का, अनुराग का अनुपम अनुभाग बन,
तुमसे मिलकर साँसें बोझ नहीं, जीवन हंसी की गोद हुआ है।
तुम फ़ासला जो लिखती रहो, अनुरक्ति मेरी कमतर न होगी,
मन में उदित विहंगम हुआ है,तेरा उरोज स्पर्श सरोज हुआ है।-
मृत्यु भोज
मुझे नहीं पता इसके फायदे क्या है परंतु इसे ना करने से नुकसान कुछ भी नहीं होगा
मृत्यु भोज जैसे मैने देखा है वो बताती हूँ....
कोई व्यक्ति मरता है मतलब अब उसके भाई और परिवार वालो को 12 दिन अपने सिर पर बैठाकर रखना पड़ेगा क्योंकि कोई नाराज़ हो गया तो समाज में बेज़ज़ति हो जाएगी
फिर 10 दिन तक उसके घर लोग मिलने आएंगे और उन लोगो को पकड़ पकड़ कर खाना खिलाया जाता है और उस खाने में एक मिठाई 2 सब्जी तो होनी चाहिए वरना लोग क्या सोचेंगे...
फिर 11 दिन है तो जितने रिश्तेदार,दोस्त, सगे,
सम्बन्धी सब लोगो को बुलाना है चाहे जीते जी वो आपस में मिले ही ना हो लेकिन अब इकट्ठे होंगे क्योंकि पंचायती जो करनी है
फिर आज ग्यारह है तो दो या तीन मिठाई बनेगी और कल बारह तो 5 मिठाई बनानी पड़ेगी क्योंकि
फलाने के घर पर भी ऐसे ही हुआ था...और मिठाई भी सीजन के अनुसार होगी कचौरी पकौड़ी तो फिक्स ही रखना ठीक है....
अब देखिए खा लिए सबने पेट भर के अब वो सब निकालेंगे कमियाँ...
( कन्दोई कुंन हो?...आप रे डोल रो लाग्यो जणे ही इसी रसोई बनाई है...मने लागे खोटयो घी भी मिलायो है....सब्जी में कीं साव कोनि...और भी बहोत कुछ बोलते है )
खाया पिया और बेकार कर दिया ना ?....
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#प्रीतीभोज
उत्तर भारत की शादी में समय के साथ मिलने वाला भोजन :
१. भोजन में सारे विकल्प उपलब्ध हैं -
"मुबारक हो, आप भोज में आए पहले 30% लोगों में से एक हैं",
आनंद लीजिए ।
२. मीठी चटनी चट हो गई है और पापड़ बेसुध है -
"कुछ 45% लोग खा कर जा चुके हैं",
समय है पूरे वेग से खाद्य सामग्री अपनी पत्तल पर बटोरने का ।
३. पुड़ी का मुंह टेढ़ा है और मीठे में ठेंगा -
"भोजन तो रोज ही करते हैं,
वर वधु को आशीर्वाद दीजिए और चलिए। "-
हे ईश्वर जिनके दिलों से मेरे लिए दुआ निकलती है,,,
जो मेरे लिए खुशियां मांगते हैं आपसे,,उनके लिए मेरी भी दिल से दुआ कबूल करना,,उनको भी जीवन भर तन्दरूस्ती और खुशियां देना🙏🙏और वो आप हो😘😘-