तू जरूरत मेरी
किस्मत न
इन्सानियत
से
न त कलयुग
सत्य युग
हरण से करता-
रोनक,
चकाचौंध की रोशनी
कर दी, धीमी चूल्हे की आंच
ना रहा प्यार
अब सिर्फ हाथ में रहा
प्रेम वाला प्याज।-
सपनों की छाया मे
लगा तुमसे डर
अब डुबकी लगा रहा
प्रेम की नैया पर।
In the shadows of dreams
Thought you afraid
Now dipping
On love-
आज हूँ मैं 1 !
जिदंगी के किसी मोड़ पर
1 से 2 हो जाऊँ !
वो आने वाला एकीकरण किसने देखा,
मैं तो आज मे शुमार हुँ ।
जिस दिन संंभावना के चिठ्ठे खुलेंगे
उस दिन 1 से 2 कब हुआ,
अब 4 !!-
दो बारिश की बूदें,
भागें फिरें इधर से उधर
तलाश रहा छाँव है किधर ।।-
ऐ छाया मुझसे बात कर,
मेरी परछाई मुझसे बात नहीं करती,
लगता हैं छाँव देने वाली चूल्हें की जलावन बन बैठी!!-
मन उभारत जात्
दिल कै शोलें
मुँह से निकलत जात्।
दुसरं दिल मा प्रेम बरश
अपनं विष उगलत।।
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एक क्षण में सुख
दूसरे में दुख
उस क्षण को याद दिलाती हैं..
जिसें झेल कर आगें बढ़ जाते हैं...
उस क्षण को अपनी यादों में बसा लेतें हैं....
इसका महत्व वहीं समझें
जो दुख में कटाई पूरी रतिया
एक मजदूर भलिभांति इससे परिचित हैं।।
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इस शृष्टि में सबकी अपनी पसंद,
मेरी पसंद तुम थीं
पहली दफा उस अनंत से
चुना था तुझकों
वो एहसास याद होगा तुझकों
पहली दफा प्यार करनें की ।।-