वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड पराई जाणे रे,
पर दु:खे उपकार करे तोये मन अभिमान न आणे रे ।।-
हो रे हरि
हो रे हरि हर हर हरि
हर राह में हारा मैं राही
हो रे हरि हरे हरे
रूह भी मेरी हार रही
हो रे हीरो हीरा हरि
हरि हार स्वीकार करो
हो रे हरि हो रे हरि
रहम हो हमरी पीर हरो-
मोहब्बत हमारी कुछ यूं मुकम्मल हो...
मस्जिद में भजन
और
मंदिर में अज़ान हो...
तेरे घर दिवाली
और
मेरे घर रमज़ान हो...-
मोहन नटवर नंद के लाल, कहाँ हो ओ कान्हा गोपाल।
तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ, तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ||
तेरे घुंघराले वाले बाल, संग रहते गैया औ' ग्वाल।
तुम्हारी टेढ़ी-मेढ़ी चाल, गले सोहे वैजंती माल।
तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ, तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ||
ओ मनमोहन बंशी वाले, क्यों तू जादू मोपे डाले।
चंचल नैनन सुरमा काले, देखन को मन है बेहाल।
तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ, तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ||
जीवन रहते ही आ जाना, इक बार छवि दिखलाना।
तुम मंद हँसी मुस्काना, मेरा तन मन हो खुशहाल।
तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ, तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ||
अपनी प्यारी छवि दिखलाओ, गिरधर नागर अब तो आओ।
मोहन मुरली मधुर बजाओ, हो जाऊँ मैं तो निहाल।
तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ, तुम्हें मैं ढूँढ रही हूँ||-
हे प्रभु राम हमारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
जोगन हो गई तुमरी दासी।
अंखियाँ तेेरी दरस अभिलाषी।।
मन राम ही राम पुकारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
भव में डूबी नाव हमारो।
नैया प्रभु अब आन उबारो।।
जीवन डोर है हाथ तिहारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।
जीव जगत सब तेरे हवाले।
अपनी रचना आप सम्हाले।।
स्वामी तुम, हम दास तुम्हारे।
हमें राखो शरण तिहारे।।-
वादा भुला ,जग में खोया ,ना किया आराम।
काम क्रोध लोभ मोह में ,विस्मृत हो गए राम।।
विस्मृत हो गए राम।।
-
मुक्कमल ये मेरा हिन्दुस्तान हो जाये
भजन के टुकड़ों से पूरी अज़ान हो जाये।-
हिंदी भजन
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक
तुम्हे खुद से मिलाएगा मालिक
कर्म किए जा धर्मं जो तेरा
अब लाज बचाएगा मालिक
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक
तुम्हे खुद से मिलाएगा मालिक
नन्हा सा बालक दुनिया में आया
सोच-समझकर नाम कमाया
भुला जगत की माया में जो कुछ
वो सब याद दिलाएगा मालिक
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक
तेरी लाज बचाएगा मालिक
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक
कितने ही तूफान राहों में आते
देख जिन्हें दिल सब हिल जाते
बस, आँख मूंद रब को विश्राले
ओ.. डूबी नैया बचा लेगा मालिक
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक
तुम्हे खुद से मिलाएगा मालिक...
तुझे रस्ता दिखाएगा मालिक-
भजन—
तर्ज़… तुझे कितना चाहने लगे हम
तुझे कितना चाहने लगे हम, तेरे बिन हुआ तन बेदम।
तेरी चाहत में बरसे ये नयन, बात सुन ले मेरे ओ प्रियतम।
प्यार ये तुमसे होने लगा है, दिल तुझमें प्रभु” खोने लगा है।
तू कर दे सफल ये ज़नम… तुझे कितना चाहने लगे हम।
कितना ज़रूरी तू हो गया, ढूँढू कहाँ तू मुझमें ही खो गया।
तेरा ध्यान रहे अब हरदम… तुझे कितना चाहने लगे हम।
ज़ोर मेरा कुछ चलता नहीं है,तू मुझको कही मिलता नहीं है।
तू मत कर मुझपे सितम.. तुझे कितना चाहने लगे हम।
कैसी ये दिल में लागी लगन, बुझती नही है दिल की अगन।
और मुझको नही है कोई ग़म…तुझे कितना चाहने लगे हम।
मात-पिता और भ्राता तुही है, मुझको तो अब भाता तुही है।
मेरे यारा तुही है सनम… तुझे कितना चाहने लगे हम।
बिन तेरे अब जाऊँ कहाँ मैं, दिल मेरा नही लगता जहाँ में।
मेरी आँखें हुई है अब नम… तुझे कितना चाहने लगे हम।
अहसास मेरे ये मरने ना देना, दुनिया में मुझे गिरने ना देना।
मुझे रखना युहीं तू नरम… तुझे कितना चाहने लगे हम।
राधे कृष्णा🙏🌹
-