Satya Harsana   (Satya harsana)
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Joined 10 April 2021


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YESTERDAY AT 16:26

संत की महिमा—

संत की महिमा बड़ी निराली।
उनका वचन न जाए खाली।
उनका मान हमेशा करना।
उनके श्री चरणों में रहना।
सबकी मिट जाए बदहाली….
संत का वचन न जाए खाली।

कृपया शेष कैप्शन में पढ़ें—

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1 AUG AT 17:00


भजन
तर्ज़ —हाल क्या है दिलों का….

कुछ भाता नहीं अब तुम्हारे सिवा
रूप ऐसा तेरा दिल को भा गया।
मेरे प्रीतम मैं तेरी दिवानी हुई
तेरे नैनों का ऐसा नशा छा गया।

तू बेशक रहे मुझसे दूर दूर।
मेरी आँखों में है तेरा ही सुरूर।
तू आए ना आए, है मर्जी तेरी
तेरे दर का तो मुझको पता पा गया…..
कुछ भाता नहीं अब तुम्हारे सिवा
रूप ऐसा तेरा दिल को भा गया।

हाथ पकड़ा मेरा अब नहीं छोड़ना।
दिल जोड़ा जो मुझसे नहीं तोड़ना।
तेरे संग के बिना मैं अधूरी प्रभु
इस जीवन का मतलब समझ आ गया….
कुछ भाता नहीं अब तुम्हारे सिवा
रूप ऐसा तेरा दिल को भा गया।

जो कुछ भी मिला वो तुम्ही से मिला।
मुझे नाम का अब तू अमृत पिला।
मुझपे कृपा करो अब मिला दो गुरु
अब तो जीवन का अंतिम प्रहर आ गया…..
कुछ भाता नहीं अब तुम्हारे सिवा
रूप ऐसा तेरा दिल को भा गया।

भरोसा है तुम पर जो मेरा अटल।
करेगा तू मेरा ये जीवन सफल।
संभालेगा मुझको तुही साँवरे
आस मन में मेरे तू जगा के गया….
कुछ भाता नहीं अब तुम्हारे सिवा
रूप ऐसा तेरा दिल को भा गया।

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30 JUL AT 10:57

बुद्ध होना आसान नहीं….

समृद्ध होना तो आसान है, पर बुद्ध होना आसान नहीं है।
प्रसिद्ध होना तो आसान है, विशुद्ध होना आसान नहीं है।

सब में इतनी सामर्थ्य कहाँ,समझे जीवन का अर्थ यहाँ।
करते जीवन को व्यर्थ यहाँ,दिखते हैं सब असमर्थ यहाँ।

गृहस्थ होना तो आसान है,प्रसस्थ होना आसान नहीं है….
समृद्ध होना तो आसान है, पर बुद्ध होना आसान नहीं है।

हर इंसा में वो प्यार कहाँ है, सबके शुद्ध विचार कहाँ हैं।
जग में सच्चा प्यार कहाँ है, जुड़ते दिल के तार कहाँ हैं।

संबंध होना तो आसान है, क्रमबद्ध होना आसान नहीं है….
समृद्ध होना तो आसान है, पर बुद्ध होना आसान नहीं है।

सत्य नहीं अब दिखता है, बस झूठ यहाँ पर बिकता है।
ओझल हो गई शिष्टता है,कोई कैसे शुद्ध बन सकता है।

विरुद्ध होना तो आसान है, अविरुद्ध होना आसान नहीं है….
समृद्ध होना तो आसान है, पर बुद्ध होना आसान नहीं है।

अब दया धर्म का नाम नहीं, कोई नमस्कार प्रणाम नहीं।
ईश्वर का लेते नाम नहीं, भजते उसको निष्काम नहीं।

पाखंड करना तो आसान है, पर दृढ़ होना आसान नहीं है….
समृद्ध होना तो आसान है, पर बुद्ध होना आसान नहीं है।

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28 JUL AT 16:53

भजन
अब सौंप दिया इस जीवन का….

मैं याचक हूँ तू दानी है, मुझ पर तेरा उपकार है।
मानुष का तन जो मुझे मिला, ये तेरा ही उपहार है।

सब कुछ तूने दिया प्रभु, अब और नहीं कोई चाह मुझे।
बस तेरे दर तक आने की मिल जाए कोई राह मुझे।

तू दे दे अपनी पनाह मुझे, बस एक यही दरकार है…..
मैं याचक हूँ तू दानी है, मुझ पर तेरा उपकार है।

जो बाँह थाम के ले जाए, ऐसा कोई रहबर मिल जाए।
दर्शन बिन प्यासी रूह मेरी, मुझे तेरा दर्शन मिल जाए।

मेरे दिल की पीड़ा मिट जाए, अब तेरा ही इंतज़ार है…..
मैं याचक हूँ तू दानी है, मुझ पर तेरा उपकार है।

माया का ऐसा जाल बिछा मैं इसमें उलझ रह जाती हूँ।
खो जाती मैं कभी कभी ख़ुद को भी समझ ना पाती हूँ।

पागल मन को समझाती हूँ, ये जीवन तो दिन चार है…..
मैं याचक हूँ तू दानी है, मुझ पर तेरा उपकार है।

देना है तो भगवान मुझे तू नाम का अमृत दे देना।
मैं जैसी हूँ बस तेरी हूँ मुझे अपनी शरण में रख लेना।

मुझको अपना दर्शन देना, अब यही मेरा उपचार है…..
मैं याचक हूँ तू दानी है, मुझ पर तेरा उपकार है।

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27 JUL AT 15:09

सच की राह—
जो सच की राह पे चलता है।
चेहरे पर तेज चमकता है।

जहाँ वैर भाव नहीं होता है।
धीरज नहीं अपना खोता है।
निराश कभी नहीं होता है।
हर मुश्किल का हल होता है।
वो सदा फूलता फलता है…..
जो सच की राह पे चलता है।

श्रेष्ठतम से जिसके विचार है।
मन में ना उसके विकार है।
सबके लिए प्यार ही प्यार है।
सुंदर जिसके संस्कार हैं।
सत्कर्म सदा वो करता है….
जो सच की राह पे चलता है।

जिसको ख़ुद पर विश्वास है।
नहीं रखता किसी से आस है।
नहीं देता किसी को त्रास है।
बस राम नाम की प्यास है।
जीवन खुशियों से भरता है….
जो सच की राह पे चलता है।

जो कुटिल चाल चलते रहते।
जो इंसा को इंसा नहीं कहते।
जो ईश्वर से भी नहीं डरते।
वो नहीं कहीं के भी रहते।
भगवान फैंसला करता है….
जो सच की राह पे चलता है।

जो अपना फ़र्ज़ निभाता हैं।
जो सबके लिए जी जाता हैं।
मसीहा वही कहलाता हैं।
दुनिया में नाम कर जाता हैं।
इतिहास वही तो रचता है….
जो सच की राह पे चलता है।

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24 JUL AT 10:11


भजन
तर्ज़—फिरकी वाली तू कल…

ओ गिरिधारी, मुझे इतना बताना,
ना करना बहाना, पाऊँ कैसे दीदार मैं,
बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।

जबसे तुमको देखा है इस मन को कुछ भाता ही नहीं।
तेरे नाम के सिवा साँवरे, मुझको कुछ आता ही नहीं।
मैं बेचारी, प्रीत की मारी, देखूँ बाट तुम्हारी,
बनवारी, तू क्यों नहीं आए, मुझे तरसाए,
कमी क्या है मेरे प्यार में….बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।

मैं तो प्रभु नादान बहुत तेरी माया नहीं समझ पाऊँ।
जितना तुझे समझना चाहूँ उतना और उलझ जाऊँ।
भोली-भाली, ज्ञान से ख़ाली, नाम की हूँ मतवाली,
ओ मुरारी, तेरे ही गुण गाऊँ, शरण तेरी चाहूँ।
करूँ विनती बारम्बार मैं…..बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।

मन को मोहित करने वाला रूप ये तेरा लगता है।
होगा तू इस जग का स्वामी, मुझको मेरा लगता है।
आस लगाए, प्यास जगाए, नैना नीर बहाए,
उपकारी, कोई राह दिखादे, मुझे ख़ुद से मिला दे
अब हुई बहुत लाचार मैं….बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।

फँसी भवंर में नैया मेरी इसको पार लगा देना।
बन जाओ तुम मेरे खिवैया मुझको प्रभु बचा लेना।
कौन तेरे बिन, मेरा हमगम, क्या तेरे बिन जीवन,
त्रिपुरारी, मेरी आस ना छूटे, विश्वास ना टूटे,
मेरी रखना लाज संसार में…..बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।
गिरधारी, मुझे इतना बताना, ना करना बहाना
पाऊँ कैसे दीदार मैं….बैठी कबसे तेरे इंतज़ार में।


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23 JUL AT 15:38









🕉️ नमः शिवाय 🙏

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22 JUL AT 11:34

शिव भजन
तर्ज़—तूने इतना दिया गिरधारी…..

ओ भोले भंडारी, मेरे त्रिपुरारी
अजब तेरी माया है।
कैसे वर्णन करूँ, कुछ कहते डरूँ।
मैं क्या जानूँ महिमा तुम्हारी, मेरे त्रिपुरारी
अजब तेरी माया है…..
ओ भोले भंडारी, मेरे त्रिपुरारी
अजब तेरी माया है।
गल सर्पों की माल, चंद्रमा तेरे भाल।
जटाओं में गंगा धारी, मेरे त्रिपुरारी
अजब तेरी माया है…….

कृपया कैप्शन में पढ़ें —

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20 JUL AT 20:17

आधुनिकता—

आज आधुनिक बनने की हमने, कीमत बहुत चुकाई है।
न जाने कितने रिश्ते, कितनी चीजों की बलि चढ़ाई है।

गाँव से शहर की सड़कों ने दूरी को कम ज़रूर किया है।
मगर हमारे अज़ीज़ रिश्तों को भी, हमसे दूर किया है।
माँ- बाप को भी तन्हा रहने को आज मजबूर किया है।
संस्कार सब छूटे, आधुनिकता का फ़ितूर भर लिया है।

मोड़ लिया रुख़ शहरों का, मर्यादा भी अपनी भुलाई है…..
आज आधुनिक बनने की हमने, क़ीमत बहुत चुकाई है।

चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर,कार ट्रकों की भरमार हो गई।
वो नहरें, बैलगाड़ियाँ, वो पगडंडियाँ दरकिनार हो गई।
ऑक्सीजन की कमी हो गई प्रकृति की बहार खो गई।
पर्यावरण दूषित हुआ, मानसिकता भी बीमार हो गई।

ना मन स्वस्थ है ना तन स्वस्थ है सूरत इसकी मुरझाई है….
आज आधुनिक बनने की हमने, कीमत बहुत चुकाई है।

कृपया कैप्शन में पढ़ें—

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16 JUL AT 17:25

भजन
तर्ज़—नी मैं नचना मोहन दे नाल…

मेरा हो गया हाल बेहाल……दिल मेरो चोरी किया।
कैसा कर गया कान्हा कमाल, दिल मेरो चोरी किया।

मूरत जब से देखी श्याम की।
होके रह गई अपने श्याम की।
नैनों से कर गया घाल……दिल मेरा चोरी किया।
कैसा कर गया कान्हा कमाल, दिल मेरा चोरी किया।

कृपया कैप्शन में पढ़ें —

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