QUOTES ON #ब्रम्हांड

#ब्रम्हांड quotes

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🎀🍇"ऊर्जा, संसार की मूलभूत आवश्यकता है"🍎✍️
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🐾🎀..,✍️
अद्भूत है ब्रम्हांड की "ऊर्जा"।
ताप, तेज, प्रकाश ले "ऊष्मा"।
कर प्रर्दशन, कर दृश्य महिमा।
किया व्याप्त सर्वत्र "गरिमा"।



🎀🐾...,✍️
समा तन में, रख जीव को जिंदा।
निश्चिंत कर, भगा दूर सब चिंता।
किए सकारात्मक प्रभाव अपार।
बेहिचक यह सबको है स्वीकार।

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26 MAR 2020 AT 8:42

हर प्रभाव का कोई ना कोई कारण तथा हर कारण का कोई न कोई प्रभाव अवश्य होता है, लेकिन वास्तव में कोई भी कारण, उसका प्रभाव है जो पहले से घटा है और हर प्रभाव, उसका कारण है जो बाद में होना चाहिए ,यह घटनाओं की एकवद्ध श्रृंखला प्रस्तुत करता है जिसे तोड़ना असंभव है, ब्रह्मांड एक अंतहीन चक्र के समान है...

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9 DEC 2019 AT 6:38

" तू " प्यार मेरा
एक संपूर्ण एहसास
मांगू तो स्वर्ग
सोचूं तो समंदर
देखूं तो आकाश
साँस लूँ तो गुलाब
डूब जाऊँ तो जिंदगी
मानूं तो ईश्वर
महसूस करूं तो चांद
सुबह की पहली ओस की बूंद
याद करूं तो सर्वस्व
ब्रम्हांड क्षितिज के उस पार
रुक जाऊं जहाँ पर वहाँ तू
है एक सर्वत्र संपूर्ण एहसास
" तू "एक बस " तू "
हो भले ही दूर फिर भी ...
जिंदगी है मेरी ..सिर्फ " तू " ...!

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7 MAY 2020 AT 16:33

यथार्थ को देखता हूं मालुम होता है कि परिस्थितियों अनुसार चीजें जीवन एक क्रम में पतीत से पावन की ओर आगे बढ़ते हुए मिलती हैं हम देख पाते हैं। प्रयासरत रहें स्थिर रहें अडिग रहें स्वस्थ रहें। अपने यथार्थ समदृष्टि उनके समावेश से ही संभावनाओं की सूचीबद्ध कड़ियां जुड़ती हैं।

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12 SEP 2020 AT 11:43

लिखने के लिए किसी से प्यार या टूटा दिल जरूरी नहीं
जरूरी है तो ब्रम्हांड की हर सजीव ,निर्जीव वस्तु के
सुख दुख का स्वयं पर अहसास करना ꫰

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11 MAR 2021 AT 7:28

जो सृष्टि की हर कण कण मे वास करते हैं
अर्थात जो सर्वव्यापी है जो ब्रह्मस्वरूप है
अर्द्धनारीश्वर महादेव शिव का पूर्ण रूप है
जो हर कर्ण मे है वो हमारे भीतर भी है
इसीलिए हमारा ये रूप भी महादेव का ही रूप है
अर्थात मन में भक्ति भाव और निश्चल हृदय
प्रतीक है भोले का.
इसीलिए ये रूप भी महादेव का ही रूप है l
🙏🌸🌼हर हर महादेव🌼🌸 🙏

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11 NOV 2021 AT 2:10

जब शब्द मौन हो जाते है तब
ये साधारण नही असाधारण
हो जाया करते है।
जब शब्द मौन हो जाते है तब
आत्मा मौन नही रहा करती है।
आत्मा से तब भाव उठते है
ये भाव अनन्त ब्रम्हांड से होते हुए
त्रिलोकी नाथ तक पहुंचते है।
तब ये भाव साधारण नही होते
असाधारण हो जाया करते है।
जब बात उस तक पहुंच ही गयी
तब वो सम्हलने का मौका नही देता।
तब दूध का दूध,पानी का पानी
हो जाया करता है।
शुद्ध प्राकतिक न्याय होता है।
शुद्ध प्राकृतिक न्याय होता है।

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18 APR 2021 AT 12:13

शब्द मेरे तीर
भरे पड़े कमान में
घूमकर आऊँ
यहां-वहां पूरे ब्रह्माण्ड में
कैसी भी हो समस्या
मुझे दिखे मेरा भाई
हर भगवान में॥

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18 AUG 2020 AT 17:02

हम नही इतिहास बोलता है,
ब्राम्हणों से ब्रम्हांड डोलता है।।

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20 JAN 2023 AT 22:14

सुना तो था
तू स्वर्ग है
देखा तो जाना
तू ही आदि तू ही अंत
तू ही ब्रह्मांड है...!


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