थक हार के दिल के आंगन में बैठती हूं जब मैं,
अकेला तन्हा देख,"माधव" तुम्हें पुकारता है ये दिल-
हमारा रिश्ता तो बस इतना ही है कि
हमें उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना है
और उनको
हम उनका ख्याल अच्छे से रखे।।
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हमारा रिश्ता तो बस इतना ही है कि
हमें उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना है
और उनको
हम उनका ख्याल अच्छे से रखे।।
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तेरी याद ने ही लिखना सिखाया है।
मेरे कलम की स्याही तेरी यादों का साया है।।
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दिल की ख्वाहिशें आंखों से बहीं
भीड़ में भी यूं मैं तन्हा रही
कुछ बातें तो किसी से ना कहीं
मन में चुभन बनी है वही
हंस के सबको हंसाती रही
पर तन्हा आंखें समंदर बहाती रहीं।।-
समय का अभाव
जब नारी अपना सुख,अपनी कोमल भावनाएं
साझा करने को आतुर रहती है
तब पुरुष दिखता है समय का अभाव।।
जब नारी खुशी से घूमती है,
तब चाहती है उसे पास
तब पुरुष दिखता है समय का अभाव ।।
जब नारी आहत होती है,
उसके कंधे पर रख सिर रोना चाहती है
तब पुरुष दिखता है समय का अभाव ।।
जब नारी दुख से घिरती है,
चाहती है उसका सहारा
तब पुरुष दिखता है समय का अभाव।।
धीरे-धीरे नारी भावना शून्य होने लगती है
स्वयं को गृहस्थी में व्यस्त करती है
अब आया वह दौर
जब है नहीं कोई पुरुष के चारों ओर
वह चाहता है नारी का साथ
पर कहां रही पहले जैसी बात
अब नारी के पास ना रहा कोई भाव
जिससे लगे उसे जीवन में कोई अभाव
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करके कृपा अधिकार दिए भक्तों को
कोई महावर लगावे, कोई पायल पहनावे
कोई चरणों में बैठे ,कोई चरण स्पर्श करें
हे श्री जी निज दासी बनाकर हम पे भी कृपा करो-
किताब छूते ही इत्र में डूब जाऊं
किताब खोलूं तो,
अपनी दुनियां में खो जाऊं
मिले जो सूखा गुलाब तो,
पहले प्यार की हो जाऊं।।-