Vishal Jaiswal   (Ray laven)
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Joined 23 June 2019


Joined 23 June 2019
14 JAN AT 4:04

Love is a strange thing
How it changes people
Only if its real.

POV..! Love at first sight is either emotional or young

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11 MAR 2021 AT 13:19

शिव शून्य

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26 FEB 2021 AT 14:05

ये एक व्यथा है और परिदृश्य भी जिनसे मैं हमेशा गुजरता हुआ खुद को पाता हूँ उसका एक छोटा सा अंश लिख रहा ।🙇🏻✍🏻आज के समय को देखूँ तो निष्कर्ष ये निकलता है कि भय ने पंगु कर दिया है और अब निवारण ये है कि इस पंगुता को तोड़ना होगा। ये जो परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं कई विशेषताओं से घिरी हैं कई रहस्य हैं तो कई पहेलियाँ हैं इनमें और और ये भय ही भगवान है भय में भगवान है कई बार हम जब आगे बढ़ते हैं तो ऐसी ही चीजें देखने को मिलती हैं इसके बाहर आते ही हम वो नहीं रह जाते जो थे । तो कई हद तक भय का होना भी अच्छा है पर एक निश्चित सीमा निर्धारित हो उसकी । उसकी उपयोगिता अनुसार और हम उस मर्म तक तब ही पहुँच पाएँगे जब हमें साक्षात्कार होगा । तो क्या अभी भी बहना बह जाना होगा डूबना होगा वो समय का अंतराल मिलेगा या यूँ ही हर एक छोटे अनुभव या खुद में विश्लेषण होता रहे ये प्रश्न काफ़ी हिलोर करते हैं अंदर जो काँटे की तरह चुभते हैं कुछ स्थिर नहीं होता है यहाँ। मन ही अस्थिर है कहीं भी कभी भी जा आ रहा है । काफ़ी समय से प्रयास में हूँ विचारशून्य होने के लिए तत्पर रहता हूँ विचारशून्य कि स्थिति प्राप्त हो पर सम्भव नहीं है । life के dimension सभी variation से रूबरू हो रहा धीरे-धीरे पर ..............

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8 JAN 2021 AT 6:23

हाँ हमने अपनी हर नादानी की
बहुत गहरी क़ीमत चुकायी है
फ़िक्र उन हालातों की कि हमने
हाँ हमने रातें जाग गुज़ारी हैं
सोच रहा कश्मकश कह दूँ
या इसे अपनी क़िस्मत लिख दूँ
जब भी सोचा कि, अब बस कर दूँ
था उस तने से ही, कि हमने सिंचाई है
गुम थे कहीं उस सफ़र में ,मंज़िल मिले हमराह मिले
जब भी मिलता खुदसे मैं, वो कहता मुझको
तन्हा तुम , तुम्हें तन्हाई मिले
हाँ फिर एक बार चाँद सूरज करना
खुद से मिलना खुद को रूखसत करना
है ज़मीन सींचा हरदम तुमने
मुझसे मिलना बंजर करना

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26 DEC 2020 AT 13:39

उसे कैसे ग़लत कहूँ मैं
जिन ग़लतियों का हिस्सा रहा हूँ मैं

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19 DEC 2020 AT 17:52

बड़ी अजीब बात है
जिनसे हमें ख़तरा है होता है
वो हमारा शौक बन जाते हैं

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5 MAY 2020 AT 13:09

अपने ही सपनों को
अपने आंखों से टूटते देखा है
क्यूंकि मैने अपनों को ही
खुद से रूठते देखा है

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2 MAR 2021 AT 7:46

We write ✍🏻 about things that we feel. And I’m like that

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28 FEB 2021 AT 12:40

It’s not about looking good , people are always hiding things. I just keep shooting until I can see what's really inside them. If U believe in eternity. Then life is irrelevant. The same as a bug is irrelevant in comparison to universe. If U don't believe in eternity , then what u do here is irrelevant. Your actions here are all that mattters. Then nothing matters. There's no ultimate consequences. I couldn't live like that. So we need to think. I need to know , I’m interested in what I’m feeling there is something. I think they hurt too. I’d like to hear it. I have a gift for observation for reading people in situations. But sometimes, I am wrong.

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23 FEB 2021 AT 19:33

Tough love make u feel good?
Helping people feel their pain.
U dont like yourself.
But U do admire yourself.
It’s all you've got, so u cling to it.
You're so afraid if u change.
You’ll lose what makes u special.

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