बेनाम रिश्ता पाकर भी मैं नादाँ खुश हो गईं,
कितनी कशिश है इसमें मैं कही गुम हो गई,,
रिश्ते को मिला कोई नाम नही,सुध बुध खो बैठी,
दिल दीवाना मचलने लगा,दिल ए आरज़ू पूरी हो गई,,
देर से ही सही,मेरी ज़िंदगी मे भी खुशियाँ आई हैं,
बेनाम रिश्ते को पाकर ही,ग़मो को भूल गई...
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बेनाम सा एक रिश्ता हमारा,
इश्क़ तो नहीं पर इश्क़ जैसा,
ज़रूरी तो नहीं पर ज़रूरत सा!-
बेनाम रिश्ता तुम्हारा, हमारा है इस जमाने में ।
लोग पुछते है मुझसे मुहब्बत, कहां है इस जमाने में ।।-
तेरे साथ प्यार भरा बेनाम रिश्ता निभाए जा रही हूं !
तुमसे ही प्यार के एहसास का रिश्ता जोड़े जा रही हूं !!
दुनियां की बातों को सुनकर भी अनसुना किए जा रही हूं !
दिल के हर दर्द को अपनी मुस्कुराहट से छुपाए जा रही हूं !!
एक अजनबी चेहरे को दिल में बसाए जा रही हूं !
खूबियों से नहीं तेरी कमियों से मोहब्बत किए जा रही हूं !!
तुझसे मिलने की उम्मीद दिल में जगाए जा रही हूं !
तेरी यादों से दिल को अपने बहलाए जा रही हूं !!
तेरे साथ उम्र भर साथ चलने के सपने सजाए जा रही हूं !
तेरे साथ प्यार भरा बेनाम रिश्ता निभाए जा रही हूं !!-
कभी कभी इतना गुस्सा आता है खुदपर,
पर कर भी क्या सकते हैं, वक़्त है ....बीत जायेगा.........-
ये तो" बेनाम रिश्ता " है इसे कुछ खास रहने दो
उन लाखों रिश्तों से बेहतर है, जो होते हैं सिर्फ कहने को
अगर सच्चाई से निभ जाए रिश्ता ,तो इसे बेनाम रहने दो-
कितने ख़ल्वत, कितनी फ़ुर्क़त, कितनी मुद्दत के बाद,
हमारे राब्ते पर रिश्ता-ए-बेनाम की तोहमत के बाद,
मिले हो तुम हमको सदियों की मन्नत के बाद।
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बेशक बेनाम रिश्ता था पर ,.....था बहुत पाक,
रूह से जुड़े थे हमारे जज्बात ,
कुछ अहसासों के साथ सिमट कर रह गया रिश्ता ये खास।
priti Mehra-