priti Mehra   (priti Mehra)
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अवतरण दिवस 5 मई
Joined 25 February 2020


अवतरण दिवस 5 मई
Joined 25 February 2020
16 APR 2022 AT 20:33

कलयुग में बस एक सहारा,
जय हनुमान नाम तिहरा।
Priti Mehra

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10 JAN 2022 AT 16:00

तेरी बाहों में है तो अनजान है, हर गम से ।
तू ही है जीने की बजह हमारी,कसम से।।
Priti Mehra

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17 DEC 2021 AT 17:50

ग़ुम है हर पल ही तेरे ख़्याल में,
फुर्सत मिले तो आ जाना हमारे भी ख़्वाब में।
priti Mehra

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4 NOV 2021 AT 14:56

दीपों से रोशन खुशियाँ,आया दीपों का त्यौहार,
भूल कर सारे गिले शिखवे, दे हर एक को पुष्प उपहार।

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4 NOV 2021 AT 14:47

तूने जो देख लिया प्यार से,बस हो गए दीवाने,
तू मान या न मान हम हैं सदियों से बस तुझें चाहने वाले।

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4 NOV 2021 AT 14:40

ऐसा व्यवहार किया अपने ही माता पिता के साथ
बृद्धाश्रम तक छोड़ आया ,और माँ आप बोल रही हो,
माफ़ कर दो भाई को
मै तो 👇👇👇👇

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22 JUL 2021 AT 23:46

काश ऐसा हो किसी के जीवन मे न ग़म हो,
खुशियों की हर तरफ सरगम हो,
बेटियों का न हो कही भी शोषण,
माता-पिता भी ख़ुश हो बेटियाँ भी ख़ुश हो।

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20 JUN 2021 AT 19:53

पिता की छावँ में सदा ही मै रही,
ग़म क्या है इससे में अंजान ही रही,
सदा ही बना रहे मेरे सर पर उनका हाथ,
किस्मत वाली हूँ जो पिता के प्यार से सदा ही मालामाल रही।

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3 JUN 2021 AT 1:03

चाँदनी रात में चाँद से बात करना अच्छा लगता है,
तू तो नही साथ पर तुझे सोचना अच्छा लगता है।

कभी तो होंगी हमारे भी दरमियां बातें ,
बस ये ही सोच कर अच्छा लगता है।

तुम न सही तुम्हारी कुछ यादें ही सही ,
उन यादों में जीना भी हमे अच्छा लगता है ।

कुछ तो है इस बात की भी तसल्ली हमे,तेरी चंद मुलाकात,
जिसे उलट पलट कर महसूस करना हमे अच्छा लगता है।
Priti Mehra

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22 MAY 2021 AT 0:36

जिन्दगी भी देखो चाय की प्याली सी है ,
इश्क़ की हिचकियाँ ले लेकर ये थोड़ी खाली सी है।

पल दो पल में ठंडे होते ये रिश्तों के अहसास,
अब तो जीवन मे कुछ बेख्याली सी है।

दिल है कि मानता ही नही देखो,
हमने भी कुछ ख्वाहिश पाली सी है।

चाहत भरे नग़मे गुनगुनाने दो अब ,
जिन्दगी भी बन गयी कब्बाली सी है।

हर क़दम पे है एक नई चुनौती खड़ी,
पर मानो तो हर दिन दिवाली सी है ।
Priti Mehra

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