priti Mehra   (priti Mehra)
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अवतरण दिवस 5 मई
Joined 25 February 2020


अवतरण दिवस 5 मई
Joined 25 February 2020
16 APR 2022 AT 20:33

कलयुग में बस एक सहारा,
जय हनुमान नाम तिहरा।
Priti Mehra

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10 JAN 2022 AT 16:00

तेरी बाहों में है तो अनजान है, हर गम से ।
तू ही है जीने की बजह हमारी,कसम से।।
Priti Mehra

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22 MAY 2021 AT 0:36

जिन्दगी भी देखो चाय की प्याली सी है ,
इश्क़ की हिचकियाँ ले लेकर ये थोड़ी खाली सी है।

पल दो पल में ठंडे होते ये रिश्तों के अहसास,
अब तो जीवन मे कुछ बेख्याली सी है।

दिल है कि मानता ही नही देखो,
हमने भी कुछ ख्वाहिश पाली सी है।

चाहत भरे नग़मे गुनगुनाने दो अब ,
जिन्दगी भी बन गयी कब्बाली सी है।

हर क़दम पे है एक नई चुनौती खड़ी,
पर मानो तो हर दिन दिवाली सी है ।
Priti Mehra

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16 MAY 2021 AT 1:24

हम थे नादान जो उनसे मोहब्बत कर बैठे ,
और वो मोहब्बत में बग़ावत हमसे कर बैठे।

इज़हार भी नही किया था उन्होनें हमसे,
और हम नादान उनसे इज़हार कर बैठे।

कोई और भी रहा होगा उनकी जिन्दगी में शामिल,
और हम उन्हें अपना दिल दे बैठे।

ये उम्र ही कुछ ऐसी होती है देखो ,
सौ बार तो हम अपने दिल से लड़ बैठे।

गलती उनकी नही हमारी ही थी ,
जो उनकी मुस्कुराहट को मोहब्बत समझ बैठे।
Priti Mehra

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27 DEC 2020 AT 23:02

वफ़ा के बदले जफ़ा मिली ,कुसूर हमारा क्या था ,
इस दिल का था कुसूर,जो उनके लिए धड़क रहा था।
देखो हमने भी उनसे लगाई थी वफ़ा की उम्मीद ,
जिन्हें वफ़ा क्या है, पता ही न था ।

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13 NOV 2020 AT 19:14

पल वो बड़े सुनहरे थे
जब मेरी साँसों पे तेरे पहरे थे
हमारे प्यार के रंग बड़े गहरे थे,
लौटा दो मीत, पल वो बड़े सुनहरे थे।

पल से क्यों शिकायत करूँ मैं,
वो कब किसी के लिए ठहरे थे,
इन आँखों में कभी ना दो चेहरे थे,
लौटा दो मीत, पल वो बड़े सुनहरे थे।

साहिलों पे हम थे, कभी नहीं वहाँ लहरें थी,
अश्क़ यूँ बहीं जैसे लगा नैनों में नहरें थीं,
शिक़वे थे ग़र तो हमसे ही कहने थे,
लौटा दो मीत, पल वो बड़े सुनहरे थे।
Priti Mehra

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9 SEP 2020 AT 14:33

भक्ति की शक्ति अपरम्पार,
संसार रूपी भवसागर में
कर्म रूपी भक्ति से ,
सच्चाई रूपी,
श्रद्धा सुमन चढ़ाओ ,
आत्मविश्वास रूपी शक्ति से ,
मनवांछित फल पाओ।
कर्तव्य पथ पे प्रतिपल,
बढ़ते जाओ।
priti Mehra

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21 MAY 2020 AT 13:49

सुबह से ही खुशियों की लहर थी ,
सारे घर मे ख़ुशनुमा माहौल था,
आज माँ कि बेटी ससुराल से मायके,
आ .... रही है ।
माँ पूरे घर को ख़ुशनुमा बना रही है।
बेटी का आना माँ के लिए...
खुशियों का खज़ाना है।...
बेटी से मिलकर अपना सारा लाड़ दुलार
उसपे लुटाना है। ...
आज खाने में ये नही ..बो बनाना, ..
ये बेड सीट नही,... बो बिछाना ,
उसे ये पसन्द नही उसे वो पसन्द नही, ..
ऐसे बोल कर ...सारे घर को सिर पे उठाया है।,
माँ ने पूरे घर को आज सरकारी दफ्तर बनाया है।
बेटी के लिए माँ का प्यार अपार है अन्नंत है। .
किसी छोर पे भी न इसका कोई अंत है। ..
माँ के अनन्त लाड़ दुलार को ..मातृशक्ति को
नमन करती हूँ।.....
हे माँ में तुझसे बेइंतहा प्यार करती हूं।
i love my mother so much
Priti Mehra

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17 DEC 2021 AT 17:50

ग़ुम है हर पल ही तेरे ख़्याल में,
फुर्सत मिले तो आ जाना हमारे भी ख़्वाब में।
priti Mehra

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4 NOV 2021 AT 14:56

दीपों से रोशन खुशियाँ,आया दीपों का त्यौहार,
भूल कर सारे गिले शिखवे, दे हर एक को पुष्प उपहार।

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