मेरे इश्क की फरमाइशें जो एक दराज़ में बंद थीं
तेरी प्यार भरी दस्तक ने वो बन्द पड़ी अलमारी खोल दिए
उजड़ी पड़ी मेरे बंजर ज़मी में प्यार का उपजना नामुमकिन था
तुम्हारी मुस्कान की बारिश ने मेरी घनघोर ज़िन्दगी में रौशनी भर दिए-
बेजान परिंदे में अभी जान बाकी है
जरा देख संभलकर मुझमें एक तूफान बाकी है
वो क्या है जो नहीं कर सकता आदमी
बस ख़ुद में ख़ुद को तलाशना बाकी है
-©सचिन यादव-
थाम लो उन हाथों को - जिन्हें किसी ने बे-जान छोड़ रखा हैं।
( हमदर्द )-
दौर-ए-हयात, कहां? मालूम, इंसान को उसे,
बस! किसी अपने, खास की फरियाद में, जिये जाते हैं।
जिस दिन, अपने ही खा़क कर जाएं,
उस दिन, ये जिन्दा शरीर में, रूह, बेजा़न ही रह जाते हैं।।-
भावनाओं की कमी है
शब्द नही ये
खालीपन है
महज़ एक बोल है
एक बेजान पंक्ति
जुस्तजू नही जिसमे
मुर्झाई हुई
देख रहे हो बस
खम्बे की तरह खड़े होकर
-
बाद उसके 'फहीम',
बेवफा, धोखेबाज, मतलबी.
ये लोग कुछ भी कहें,
दिल जानता है मेरा.
उसने मोहब्बत
कमाल की थी.
बेपनाह की थी,
बेमिसाल की थी.
उसने शादी से
एक रात पहले तक,
मुझे अपने पास
बुलाने की बात की थी.-
जिंदगी उस ब्लैक एंड वाइट तस्वीर की तरह बेजान लगती है
जब तक हर सुबह मेरी चाय तु मेरे लबो से नही लगती है
-
दिल में दर्द तो बहुत है
फिर भी चेहरे पे मुस्कान है
ये हाल-ए-दिल बेरोजगार की है
मन चिंतित और तन बेजान सी है-
यूं हुक्मरानों सा हुक्म ना चलाओ हमपे,
हम आशिक हैं तेरे, कोई गुलाम तो नहीं......
एक बार में जान लेलो भले ही तुम,
यूं बार बार सितम करती हो, मैं बेजान तो नहीं....-