लाज़िम था उसका बेग़ैरत होना
इश्क़ ही ऐसा था कि गुमां हो गया-
ऐ गालिब!
मोहब्बत को मुक़दमा बना दिया बेगैरत ने,
हार जीत का फ़ैसला सुना दिया जाहिल ने।
अब क्या ही कहे ..
सच्ची मोहब्बत की पेश हम दलील कर देते,
गर चाहते तो हम भी उनको जलील कर देते।
मगर ..
सुथरी सी चीज है मोहब्बत उसे मलिन ना कीजिए,
खुदा की नेमत है मोहब्बत उसे अश्लील ना कीजिए।।-
मेरे दरवाज़े की नक्काशी पर यूँ उंगली उठाने वाले
हो सके तो अपनी उखड़ी चौखट की कील ठोंक ले-
रोज मेरी कलम वो लिख जाती है,
जो शायद वो हरगिज नही चाहती है,
बेगैरत ना समझो इस कलम को कोई,
ये तो बस कागज की प्यास बुझाती है।-
कुछ ऐसे भी हरामी लोग हैं,
जिन्हें बचपन में जिस माता पिता ने बोलना सिखाया बड़े होने के बाद उसी माता पिता से बदतमीजी से पेश आते हैं बदतमीजी से बात करते हैं।
अगर आपने भी ऐसे किसी को कभी देखा है तो उसके लिए कौन सा एक Word बोलना चाहोगे आप??-
बड़ी-बड़ी बातें बनाता था मैं
सारी दुनिया को उनमें, फँसाता था मैं
यूँ तो मिल जाते थे कईं दीवाने, हर मोड़ पर
पर किसी का दीवाना, नहीं बन पाता था मैं
ना जाने कहाँ से, वो 'नाज़नीं' उतर आयी
'परी' सी बनकर..इस बहते 'दरिया' में समाई
सबको बातों में फँसाने वाला..
बड़ी-बड़ी बातें बनाने वाला..
ख़ुद उसकी कुछ प्यारी बातों में खो गया
न जाने मुझे क्या हो गया?
ना कभी मिला, ना फ़िर मिलने की आस है
पर लगता है जैसे, वो हर पल मेरे पास है
कहा उसने भी वही सब, जो सब कहते थे
पर न-जाने क्यों उसका कहना, कुछ ख़ास है
वो मिलेगी नहीं मुझे, पता है मुझे
पर न-जाने क्यों
इस 'बे-ग़ैरत' दिल को
....कुछ आस है
- साकेत गर्ग-
अश्कों पर अब हम पाबंदियां लगा चुके हैं;
बेगैरत बेवफा के खातिर बहुत बहा चुके हैं!
💔💔💔💔-
हो शिकायत जिन्हें मुझ-से वो थोड़ा मेरा मलाल करे,
मैं इतना बेग़ैरत नही थोड़ा मेरे लहज़े का ख़्याल करे।-
हवाऐं बेगैरत सी मालूम होती हैं,
शायद कोइ फसाना फिर टूट ने को है ।-