-
तुम्हारे माथे की बिंदी
कमीज़ में चिपके चिपके
हफ्ते भर में
आधा शहर घूम आयी है
सिरहाने रख ली है
आज ख़्वाब में आना
तो ले जाना.-
महक जाऊं तेरी जिंदगी के हर खुशनुमा लम्हे में,
काश, मैं तेरे हाथों में मेहंदी सा रचा-बसा होता!
धड़क जाता मेरा दिल तेरे आने की आहट से ही,
काश, मैं तेरे पैरों में पायल की सी झंकार होता!
खनकता रहता मैं तेरे दिल मे हर पल हर लम्हा,
काश, बन के चूड़ियाँ मैं, तेरी कलाई में होता!
चमकता मैं चाँद की तरह अमावस की रात में भी,
काश, बन के काजल तेरी आँखों मे समाया होता!
खुशबू की तरह बिखर जाऊं तेरी हर मुस्कुराहट में,
काश, बन के गजरा मैं, तेरे बालों में इतराया होता!
बन के सूरज दमकता मैं ओज सा तेरे तन-मन मे,
काश, मैं तेरे माथे की सुर्ख दमकती बिंदी होता!
बना लूँ तुमको जन्म जन्मांतर का जीवनसाथी,
काश, मैं तेरी मांग का अमर सुहाग सिंदूर होता!
__राज सोनी-
ये झुमके, ये काजल, ये बिंदी, ये कंगन
आईने में देखे अक्स में कुछ तो कम था
उसकी आंखों में देखा खुद को, बिन श्रृंगार के ही नूर था-
कल उसकी बिंदी क्या
कम कहर ढाई है,
जो आज वो कानों में
झुमके भी पहन कर आ गई।-
देख ना सकूँ वस्ल ना हो बस बातें होती रहें
ऐसे करके कमाल की पाबंदी लगा दी है,
हम दीवार पर अपनी पेशानी पीटते रहे,
उसने रकीब के नाम की बिंदी लगा ली है।-
माथे की बिंदी न सही पाज़ेब बना लो
हकीम तो बनने से रहे,मरीज़ ही बना लो-
हमारी पहली मुलाकात पे मिलने को
वो कुछ ऐसे सज-सवर के आई थी..
कानों में झुमका,आंखों में काजल और
'काली सी साड़ी ' पहन के आई थी...!!-
शान से चमकती
अभिमान से दमकती
दो इठलाती भृकुटि के बीच
बड़ी ही खूबसूरत लगती है
उसके माथे की बिंदी
नीली नीली साड़ी पर
बड़ी ही फबती है
उसके चेहरे पर
हरी हरी बिंदी
लाल ,पीली, नीली ,
काली और गुलाबी बिंदी
प्रतीक है उसके मस्तक की
स्वाभिमान उसकी बिंदी
बन जाती है कभी कभी सुहाग
की पहचान उसकी बिंदी
रोज लगती है बड़े प्यार से
दो त्यौरी के बीच
मुस्कुराते हुए शान से
सुंदरता और सम्मान के
नाम उसकी बिंदी
✍️रिंकी
-