बँटवारा मोहब्बत में , जब चर्चे में आयेगा
पूछेंगे सब, चंदा किसके हिस्से में आयेगा-
अजीब द्वंद है, ख़ुद राम हूँ, ख़ुद ही ह... read more
रात है गर तो महताब होना चाहिए
नींद में तेरा ही ख़्वाब होना चाहिए
फूल, ख़त,चंदा-तारे पुराने हैं सभी
तोहफा हो तो नायाब होना चाहिए
होंठ पे तेरे जानाँ, हँसी आये जभी
बाग को पूरा, शादाब होना चाहिए
बात है कैसी, कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
इश्क़ में जानाँ बेताब होना चाहिए
रास्ते ये सारे, जाते हैं तेरी ही गली
छोर से जन्नत पायाब होना चाहिए-
उसी के हो, हिमायत क्यूँ नहीं करते
ऐ दिल मेरे, मुहब्बत क्यूँ नहीं करते
चुराता, हर अमावस, चाँद है कोई
सितारों तुम बग़ावत क्यूँ नहीं करते-
अच्छा बुरा सब याद रक्खा जाएगा
पर दिल सदा ही शाद रक्खा जाएगा
यह साल हो बेहतर पुराने साल से
सो एक नया इरशाद रक्खा जाएगा
कि तोहमत लाखों लगे दिल पे, मगर
अब दिल ये आजाद रक्खा जाएगा
वादे सभी दिल में रखो महफ़ूज तुम
हर ख़्वाब को आबाद रक्खा जाएगा
वो साथ हो तो बात क्या है फिक्र की
मंज़िल, सफर से याद रक्खा जाएगा-
हिज्र में क्या क्या नहीं लुटा दिया हमने
याद रखना था जिसे, भुला दिया हमने
जिंदगी की बात करते, हम भला कैसे
संग ख़त के रब्त भी जला दिया हमने
बारहा महताब से ये बे-फ़िज़ूल तुलना
तंग आ कर, चाँद ही चुरा लिया हमने
जो लगे ढूंढने सितारे, चाँद को नभ में
शाम को छत पे उसे बुला लिया हमने
काश की होता ये एक स्वप्न बेमतलब
जाग के लगता जहाँ ये पा लिया हमने-
छठ जे बरस भइर के बाद अबई छै
सूरज तखैन, समय के बाद उगई छै
जाईब नै सकलियै घर जे इ बेर हम
घर, घाट अंगना सब यादि अबई छै-