कामना,लोभ मिटाकर, खुद को निष्काम किया है
जवान हसरतों को जलाकर, खुद को बच्चा किया है
बढ़ती उम्र के साथ गलतियां बेहिसाब की
अहसास होते ही हर गलती का सुधार किया है
आशिकी का भूत था, न हद थी पागलपन की
आवारगी में ना जाने,दिल किस-किस के नाम किया है
ना तलब खूबसूरती की,ना बहक सकता हूँ अब प्रमत्त नयनो से
इच्छाओं, अभिलाषाओं का गला घोंटकर, खुद को योगी किया है
हुस्न दिखाकर ढूंढ रहे हैं मुझमें वो शख्स पुराना सा,
बेख़बर है कि "मुनीष" ने "मुनीष" को मारकर,"मुनीष" जिंदा किया है-
न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार
बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया-
" बदला जब वो अपना वजूद , बनाने के लिए खुद धूप में खड़ा हुआ...,
वरना दूसरों की छांव में खड़े होकर , वो अपनी परछाई भी खो देता....!!"
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ख़तरे में है देश हमारा, मर रही देखो सेना है।
कलम छोड़ बन्दूक उठाओ, अब बदला हमको लेना है।
उनकी कायरता से डरकर हम कायर कहलायेंगे
अब तो हमें जवाब उनका बहादुरी से देना है।-
आज एक जलजला दिल में मिला
पूछा क्या करूं भला
मैं रोता उठा और फिर बोला
मुझे ना तुमसे कोई शिकवा गिला
मैं चाहूं अगर तो लिटा दूं जमीन पर
पर तुझमें एक भावना का डोर मिला
हां वो था कभी पर अब नहीं है
जा कर दे जो तुमने है सोच लिया
दौरान इसके मेरी आवाज आई उससे
तो हैरानी मत करना कि ये क्या किया
साथ रहते जितना तड़पाया मुझे
दूर होते ही उसका ये बदला लिया-
जहां-जहां से हम निकले,
मौसम ने अपना रुख बदला,
लो आ गये तुम्हारे शहर भी,
यहां का रुख भी बदला-बदला।-
बदला...
न मुद्दा हूँ ,ना सवाल हूँ
आग में जलता हूँ
अंगारों पर चलता हूँ
ना प्रश्न हूँ ना उत्तर हूँ
"बदला" हूँ
बदले में सोता-जगता हूँ
बदले में सुलगता हूँ-
मत देना चुनावी दलील कि फ़िर हमनें अपना जवान खोया है
उन चालिस के लिये सिर्फ़ तुम नहीं आज पूरा देश रोया है-
जो दिया दर्द तीस सालों से अब उसे ना बर्दाश्त करेंगे
कोशिश तो कर "नापाक",हम तुझको जड़ से साफ़ करेंगे-