Bharat Kumar Vaishnav  
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Joined 29 December 2019


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18 OCT 2022 AT 14:02

" जिंदगी अब तेरी कड़वाहटों को दिल मे रखकर क्या होगा...,

जब मरने के बाद भी ठगे जाते साफ़ दामन वाले लोग यहॉं...!! "

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18 OCT 2022 AT 14:01

" जिंदगी अब तेरी कड़वाहटों को दिल मे रखकर क्या होगा...,

जब मरने के बाद भी ठगे जाते साफ़ दामन वाले लोग यहॉं...!! "

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13 OCT 2022 AT 15:26

" बेशुमार मंहगाई के दौर में..,
बाज़ारों का हाल है गजब यहॉं....,

कि बिकने को तो बहुत कुछ है..,
मगर खरीददार कहीं नहीं...!! "

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23 SEP 2022 AT 12:55

" दिल लगाकर फरिश्तो सी...,
उम्मीद लगाना लोगो से बेकार है..!

हो ताल्लुकात तो रूह से....,
वरना दिल तो अक्सर भर जाते...!! "

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22 SEP 2022 AT 15:51



" चार दिन की ज़िन्दगी में...,
जब चाहा आवाजें पहनी...!

जब चाहा खामोशी ओढी...,
हर रंग का जोडा सजाया मैनें भी...!

ख़ुशियों के जाल में फँसकर....,
जब अपनी औक़ात भूलने लगा....!

तब दुनिया ने हमें सीखा ही दिया....,
ये जिंदगी कोई सुराग नहीं छोडती...!! "

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8 JUL 2022 AT 9:07

" चार दिन की जिंदगी में...,
कभी भी किसी को.....,
उसके बीते कल से मत परखिए...!!

क्योंकि....,
इस दुनिया में....!

हमेशा कुछ सीखकर...,
अपने को बदल कर आगे बढ़ता है....,
वही मनुज तो जिंदगी को अर्थ देता है...!! "

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15 APR 2022 AT 10:08

" कुछ खोना कुछ पाना चलता रहता है..,
साँसों का अफ़साना चलता रहता है....!

इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ..,
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए...!

कुछ बच जाते हैं तो कुछ मिट जाते हैं..,
वक़्त का आना जाना भी चलता रहता है...!

सीखता हूँ, बदलता हूँ और आगे बढ़ता हूँ..,
मगर मैं अपने पाओं को ज़मीन पर ही रखता हूँ...!

आज भी बुलंदियों पे यकीनन मैं यकीन रखता हूँ...,
फिर भी किसी को बीते कल पर नहीं परखता हूँ...!! "





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13 MAR 2022 AT 13:59

" रंजों गम से भरी जिंदगी में..,
सकुन इस बात का है मुझे...!

कि जो भी मोहब्बत मिली...,
बाँट दी सारी दुनिया वालों में....!

बस थोड़ी मस्ती और...,
अपना ईमान बचा पाया हूँ...!

और अपने भीतर का....,
मैं इक इंसान बचा पाया हूँ....!! "— % &

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5 MAR 2022 AT 21:43

" प्रेम बहुत दुर्लभ है...,
उसे पकड़ कर रखलो जरा...!
क्रोध बहुत खराब है...,
उसे वश में रखलो जरा...!

भय बहुत भयानक है...,
उसका सामना करलो जरा...!
सारी खुशियां बांट लो...,
अपनी तुम जमाने भर में...!

स्मृतियां बहुत सुखद होती है...,
उन्हें संजो कर रखलो जरा...!
ये जीवन बहुत ही छोटा है...,
क्यों न उसे अच्छे से जिले यहॉं....!!"— % &

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20 FEB 2022 AT 17:54

" प्रेम सकल हो..,
भाव अटल हो...,
मन को मन की आशा हो...!

बिन बोले ही..,
व्यथा जान ले...,
ये अपनों की परिभाषा हो...!

उदास लम्हों को..,
कभी याद मत रखना...,
तूफ़ानों में भी वजूद....,
अपना संभाल कर रखना...!! "

किसी की ज़िंदगी..,
की ख़ुशी हो तुम...,
बस यही सोच कर....,
तुम अपना ख्याल रखना...!! "
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