किसी की ऊंची आवाज़ तक ना सुनने वाली,
किसी की बदतमीजी को माफ़ कर गई।
चाहती तो कर सकती थी उसी के लहज़े में बात उससे,
उसका मान रखने को वो चुप-चाप सुन कर आ गई।।-
दिल की मासूम बातों को
सादे अल्फ़ाज़ो में कहने दो
चालाक तमीज़दार हमें ना बनाओ
हमें नासमझ बद्तमीज़ ही रहने दो।-
उनकी बेरुखी इस कद्र खल रही हैं कि
हमे खुद से ही नफरत हो रही है अब,
पर
उनकी बेरुखी जायज भी है
हम हैं ही इतने बदतमीज....
अरे प्यारे
हम तो कहते है, कि हम इतने बदतमीज है कि
उनकी इस बेरुखी के भी हम लायक नहीं....-
पहले मेरी हंसी पर पाबंदी लगाई
और मेरी तकलीफों को झूठा कहा
मेरी अच्छाई को दिखावा बताया
मेरी शराफत को मेरी कमजोरी
मेरी सीखों का मजाक उड़ाया
और मेरे प्यार को साजिश बताया
मेरी समझदारी को मेरी चाल
मेरे गुस्से को बदतमीजी
मेरी काबिलियत को मेरी बीमारी समझाकर
और मेरे सारे हक मूझसे छिनकर
मेरी खामोशी की वजह पूछते हो
अच्छा मजाक कर लेते हो
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खुब बदतमीजी जता रहा है मौसम,
लगता है तेरी गलियों से गुजरता आया है। ❤-
झूठ झिपाने के लिए तो वो, कोई भी हद पार कर देंगे!
सच कहने लगूंगा मैं, तो उसे बदतमीजी क़रार कर देंगे-
बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी,
बाकी तमीज से पेश आओगे..
तो दिल ❤️ का दरवाजा हमेशा खुला पाओगे!-