बहकी बहकी सी बातें करने लगे हैं हम आजकल
यूं तुम हमारा हाल क्यूं पूछते हो-
ज़िन्दगी में कुछ हदें संभाल रखी हैं हमने
जिस दिन ये टूटी समझ लेना तुम्हारे सामने ये सख्स कोई और है-
कुछ गलतियां की हैं ऐसी की दुनिया कोसेगी मुझे
लेकिन सारी ज़िन्दगी मरा हुआ तो नहीं रह सकता था मैं-
कहते हैं टूटते तारे ख़्वाब पूरे करते हैं
क्या उनके भी कोई ख़्वाब होते हैं
शायद उन्होंने भी ख़्वाब देखे थे कभी
जिनके पीछे वो भी भागे थे कभी
लेकिन उनके ख़्वाब शायद कभी पूरे हुए नहीं
इसलिए खुद टूटकर पूरे करते हैं वो अधूरे ख़्वाब सभी
शायद वो समझते हैं ख्वाबों के अधूरे रह जाने का दर्द
इसलिए करते हैं वो पूरे ख़्वाब और ले जाते हैं दर्द-
ना जाने मेरे किरदार की कहानी कौन लिख रहा है
मेरी आंखों में पानी कौन लिख रहा है
हमारे इरादों से वाकिफ कौन है यहां
फिर हमारे इरादों में बेईमानी कौन लिख रहा है-
सोचता हूं खुद से ईमानदार हो जाऊं
सारे रिश्तों को तोड़ आऊं
जैसा हूं वैसे अपनाने वाले नहीं
तो क्यों ना सबको पीछे ही छोड़ आऊं-
सच से रिश्ते निभाने की कोशिश जो की
कुछ रिश्ते टूटे, कुछ रिश्तों ने हमें तोड़ा-
जाने पहचाने चेहरों में कोई अपना खोजता हूं
जागते दिन में कोई सपना खोजता हूं
भरी महफ़िल में कोई कोना तन्हा खोजता हूं
बोलती जुबानों में कोई ख़ामोश फसाना खोजता हूं
आती जाती पुरानी राहों में कोई नया ठिकाना खोजता हूं
हर रोज़ अखबार में कोई किस्सा सुहाना खोजता हूं
शरीफों की बस्ती में कोई दीवाना खोजता हूं
तुझे बार बार मिलने का बहाना खोजता हूं
गुजरते लम्हों में से एक लम्हा पुराना खोजता हूं
खुद के अंदर ही कहीं खुद को खोजता हूं
यादों के ढेर में से एक याद खोजता हूं
सुनी सुनाई गीतों में एक अनसुना तराना खोजता हूं-
अच्छा होता तूने मोहब्बत को अपनी जताया होता
अच्छा होता तूने मुझे बताया होता
मैं बेखबर सा रहा, तुझे दोस्त समझता रहा
तूने मुझे अपना इश्क समझाया होता
युं ही नहीं था वो रातों में बातें करना
यूं ही नहीं था मुझे जज्बातों से वाकिफ करना
उन अजीब सी बातों का तेरे कुछ मतलब था
क्यों तेरी निगाहों में मेरे लिए वो अपनापन था
वो महज़ दोस्ती नहीं इश्क था
तूने कभी बताया ही नहीं मैं सिर्फ तेरा दोस्त नहीं था
अब मुझे उन इशारों का मतलब समझ आता है
लेकिन अगर तुझसे कुछ पूछूं तो तू कुछ नहीं बताता है-
दर्द के नशे में रहता हूं मैं हमेशा
और किसी नशे की आदत नहीं मुझे
तू कोशिश ना कर जाम पिलाने की
साकी से दोस्ती की इजाज़त नहीं मुझे
मैं हर दफा पक्का इरादा करता हूं
कि नशा छोड़ दूं मैं
पक्के इरादों की आदत नहीं मुझे
ये अजीब से लोग कौन हैं
मुझे संभालने की बात करते हैं
नशे में संभल जाने की ख्वाहिश नहीं मुझे
हमें शराब के नशे में सारे दर्द नहीं भूलने
दर्द से दूर रहने की आदत नहीं मुझे-