Shraddha Halge   (Dr.shraddha❤)
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Joined 8 September 2018


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16 JUL 2020 AT 22:08

ऐ खुदा,
क्या ऐत़राज करु मैं,तेरी हर एक 'त़र्ज' पर,
तेरी हर रहम़त पे तो,जॉ़ं निसा़र कर जाएंगे।
आज मै उनके गैरमौजुद़गी पर शुक्रगुजा़र हुं,
जिनके 'व़स्ल' के लिए मैने तेरे,'व़जूद' से इऩकार किया था।

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18 MAY 2021 AT 8:24

अलग अलग
सबका होता है हुनर
दर्दोको झेलने का,,,,

हम महसूस करके
बस खत्म कर देते है।
आजकल लिख कर दुसरों के
गम कुरेदना दिलको रास नहीं आता।

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17 MAY 2021 AT 23:58

लैला-मजनु,हिर-रांझा अमर हुए,
मरकर बेशक इश्क सजां गएं।

पर उनका भी इश्क किसी से कम है?
जो झुर्रीया चुमकर कहते हो,
कुछ आंखरी लमहो में,
"तुम्हारे साथ जिंदगी हसीन थी। "

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17 MAY 2021 AT 23:23

सोचती थी लिख दुं तुझपर भी
एक हसीं शायरी,
पर तुझे देखकर मेरे अल्फाजों ने भी
बगावत कर लीं मुझसे।

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11 MAY 2021 AT 23:52

एक जनाझे से पुछा मैंने
"कुछ ख्वाहिशें तेरी भी अधुरी होंगी",
वो बोल उठा मुझसे,
ख्वाहिशें तो दफ्न हो जाएंगी
आज अर्थी के साथ,
एक अफसोस लेकिन
बेइंतेहा रहेगा मुझे,
जब 'जिंदगी' साथ थी
उसे बोल ही नहीं पाया के
"ऐ हमसफर,ऐ हयात,ऐ हमनवा,
बेहद खुबसुरत थी तु,,,
और मै नासमझ
तुझे जी भर के जी भी नहीं पाया"।

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11 MAY 2021 AT 22:50

खोनेसे खौफजदा है हम,
पाया भी नहीं फिलहाल,
सुना है अंदाज से डरते हो हमारें
अब आए हो तो रुक ही जाओ,
वादा है आपसे,जिंदगी भर
जज्बात बयां नहीं करेंगे।

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11 MAY 2021 AT 22:37

सोचा है कभी,
क्यों खुशहाल लगती है जिंदगी
अपनो के आसपास,,,

यहां मुस्कुराहट किसीके
इजाजत की मोहताज नहीं होती।
और सुकुन किसी
दीखावे का मोहताज नहीं होता।
दर्द दुसरों के
हसीं का मोहताज नहीं होता,
ना ही जिने का हौसला
किसीके जनाझे का मोहताज ।

जो कुछ भी है यहा, सब बेहिसाब है,,,
मोहब्बत है, दुवाएं है,बचपना है, रुसवाई भी है,
पर सब बेहिसाब है
और बेनकाब है।

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4 MAY 2021 AT 13:42

वो लौट आए मनाने
तो क्या समझा जाए,,,
यही की आजमा चुके
होंगे पुरे जमाने को....
आप ही बताओ अब
क्या किया जाए
मुआफ कीया जाए
या छोड दिया जाए।

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21 APR 2021 AT 9:12

गुलशन की फुहार भी
उसी घर मे पनपती है,
जहां खुश्की से आब पाशी तलक
सब्र जिंदा होता है,
सुखे पत्तो से भी प्यार जताना
हर कीसी के बस में नहीं होता,
और बिना पतझड के फुल मिल जाएं किसीको
यह मुमकीन तो नहीं होता...

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28 MAR 2021 AT 9:33

थोडेसे कम पसंद है मुझे
हिसाब रखने वाले लोग,,,

अब उनसे क्या ही बात की जाए,
जो लब्जों का हिसाब रखते हो।
साथ कैसे वक्त बिताया जाए,
जो लमहों का हिसाब रखते हो।
और उनसे कैसे दिल लगाया जाए,
जो जज्बातों का हिसाब रखते हो।

मोहब्बत,हालात,दुवाएं,और फिक्रों का भी कोई
हिसाब होता है क्या भला।।
इन चीजों से कहना
आना हो तो,
जरा बेशुमार बनकर आए।।

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