सिर्फ़ मेरा होने में उसका गुजारा न हुआ
बट गया इतनों में कि फ़िर हमारा न हुआ
बेरूख़ी दिखा वो मेरी कमियां गिनाता रहा
उसका दिल खुल के भी तो आवारा न हुआ
सिर्फ़ मेरा होने में उसका गुजारा न हुआ
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ढूंढ ले पहले ख़ुद को फ़िर अल्फ़ाज़ो में ढालते ... read more
वो पकाना तो जानती है पर खुद के लिए नहीं
पूरे परिवार की पसंद का ख़्याल रखने वाली
अक्सर ख़ुद अपनी ही पसंद भूल जाती है
वो बनाती है पूरे घर के लिए भर पुर व्यंजन
जब ख़ुद के लिए बनाने की बारी आती है
वो बना ही नहीं पाती अक्सर टाल जाती हैं
Dr. Priyanka
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क्यों ना एक बार फिर से मैं हसीन हो जाऊं
तू इश्क़ जताए और फ़िर मैं तुझ में खो जाऊं-
जो हासिल होकर गुम हुआ, उस जख्म का कोई मरहम नहीं
मिलेंगे कई राहगीर इस सफर में, पर रूह का कोई हमदम नहीं-
जिनको सब्र नहीं उनको भी वक्त सिखाता है
थोड़े ज़्यादा ज़ख्म देकर नई शक्ल बनता है
इस वक्त से अब तक तो कोई जीत न पाया है
हर बार हरा कर भी इसने विजेता ही बनाया है-
अभी वो ठहरा हुआ है मेरे पास
मुझसे बेहतर नहीं हैं उसके पास
जब मिल जाएगी उसको वो ख़ास
तो फ़िर कर्कश लगेगी मेरी आवाज़-
कुछ खोया ही नहीं है, बस एहसास हुआ है
कि मेरा कुछ था ही नही, इस नश्वर संसार में-
अब वो नया घर बसा रहा है
अपना घोंसला सजा रहा है
वो मेरे जहां को वीरान कर
एक नई दुनिया बसा रहा है
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अब मौन ही करेगा सारी बातें
इन शब्दों में तकरार बहुत है
इश्क़ किसी की चाहत नहीं है
और जिस्मों के व्यापार बहुत है
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