QUOTES ON #बक्सा

#बक्सा quotes

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20 NOV 2018 AT 2:03

तुम कांठ का बना वो बक्सा रहे ..
जिस पर स्वर्णिम धातु से .. लिखा था तुम्हारा नाम
..
खुद को भी तुमने .. बस इतना ही समझा
खोखले ही रहे भीतर से ..
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देखा था झांक के मैंने एक दफ़ा
बहोत अँधेरा .. सुनसान .. उदास .. खाली सा
..
सुनो .. !!
मैं तुम्हें बिन बताये .. एक बूंद 'प्रेम' की ..
रख आई हूँ 'तुम में' ..

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18 OCT 2020 AT 19:18

बस एक बार रजाइयां बक्से से बाहर निकल जाये....
फिर इस देश के नौजवानों को देर रात तक चैटिंग से भगवान भी नहीं रोक सकता..😂😂

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21 NOV 2017 AT 17:40

ख़्वाहिशें बक्से में बन्द रखा कीजिये साहब
वक़्त के साथ अक्सर इनको उड़ते देखा है

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2 SEP 2021 AT 6:39

दरवाजे बंद करने पर भी
चले ही आते हैं
कुछ अनचाही यादें
कुछ अजनबी ख़याल
कुछ अनबूझे सपने
कुछ अनसुलझे सवाल।

कहना चाहूँ कुछ अनकहा सा
सुनना चाहूँ कुछ अनसुना सा
छूना चाहूँ कुछ अनछुआ सा
देखना चाहूँ कुछ अनदेखा सा।

दरवाजा बंद करते ही
खुल जाता है
किसी जादूगर का
जादुई पिटारा।

इंतज़ार है मुझे
उस दिन का
जब वो जादूगर
समेटेगा सब कुछ
और कर देगा खेल खत्म
या फिर मुझे ही
किसी जादुई बक्से में डाल
कर देगा गायब।

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16 JUL 2021 AT 8:28

'रहस्यमयी बक्सा'
अचानक मिल गया एक रहस्यमयी बक्सा,
हालत जिसकी थी टूटी-फूटी और ख़स्ता।

खोलें कि ना खोलें, जाने क्या होगा अंदर,
विचारों की फिर यूँही हो गई गुत्थमगुत्था।

खुलने पर ताज़ा हो गईं यादें भूली-बिसरी,
ख़ुशबू ले सामने था, बीते वक़्त का बस्ता।

कुछ ख़त, कुछ सूखे फूल भी झाँक रहे थे,
दिल भी देख रहा था होकर हक्का-बक्का।

घूम आए थे एक बार फिर वो भूले हुए लम्हे,
उम्दा था, यूँ बेवजह सब समेटने का चस्का।

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12 FEB 2020 AT 17:14

वो पुराना बक्सा



अनु शीर्षक में ...

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15 AUG 2018 AT 7:16

बक्सों के अंधेरों में जाने कबसे कैद था तिरंगा,
आज उजालों में आजाद हो फिर लहराया है तिरंगा,
आज इतरा ले अपनी आजादी पर ऐ तिरंगे, कल फिर से तो तुझे कैद ही हो जाना है।

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13 MAR 2020 AT 19:04

सारा सुकून दिल में दबाए
डर और परेशानी को साथी बना बैठा हूं।

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7 AUG 2020 AT 12:21

एक बक्सा

एक लकड़ी का बक्सा, जो था पूरी तरह बन्द
उसमे फंस गया एक परिंदा, जो था मेहनती, बुद्धिमान और प्रचंड
बहुत करी कोशिश उसने, उस बक्से को खोलने की
लेकिन जब बहुत कोशिश करने के बाद भी वो बक्सा ना खुला
उसने तब भी ना मानी हार
करता रहा अपनी चोंच से, वो उस बक्से पर वार
फिर शाम हो गई , सूरज ढल गया
वो थक कर लेट गया, मानो हार गया हो आखिरकार
अगले दिन, फिर एक सुबह आई
उस परिंदे कि मेहनत रग लाई
उसके किए हुए वारो से, कुछ छेद बन गए थे,जिनसे निकल सूरज की रोशनी उस बक्से में आईं
देख कर उस बक्से की चकाचौंध को
उस बक्से के मालिक के मन में एक ख्वाहिश आईं
और वो ख्वाहिश एक नया विचार, उसके दिमाग में लाई
फिर उसे, एक कटर कटर की आवाज़ आई
उसने तुरंत उस बक्से को खोल दिया
और उस परिंदे कि जान बचाई
परिंदे को ज़िन्दगी मिल गई
और उस इंसान को एक नायाब बक्सा
और वो भी ऐसे खुश हुआ
मानो कोई खुशी देखे, उसे हो गया हो एक अरसा

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13 NOV 2024 AT 9:40

बक्सा भर यादें ले कर आते हैं हम,
बक्से में संसार समेंटा हुआ होता हैं,
कभी इस दरवाज़े कभी उस गली भटकते हैं,
बक्सा उठा कर एक कमरें से दुसरा कमरा बदलते हैं,
कभी कमरा बदलता हैं तो कभी रूममेट ,
बस जिंदगी सिमट सी गई है बक्से में।

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