हँसती हुई आखों में आसुओं को दबाना आ गया
बिना उफ़ करे, काँच के टुकड़ो पे चलना आ गया
तुम्हारी बेरुख़ी का दर्द, बारिश में भी ख़ुद को जलाना सीखा गया-
Shashank Rastogi
(Bechain_Shayar 1987)
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नशा आवारगी का
Joined 31 May 2020
18 APR AT 2:09
13 APR AT 22:25
की ज़िन्दगी जीना जीतना नहीं है
बल्कि, हर बार हार हार कर वापस उठना है-
13 APR AT 22:22
की जो वक़्त हमने साथ गुज़ारा था
वो इश्क़ नहीं
सिर्फ़ तुम्हारा छलावा, तुम्हारा मतलब था-
13 APR AT 22:01
वक़्त सबसे अधिक बलवान है
वक़्त है तो जान है
वक़्त आ गया तो मौत भी आ जाती है
वक़्त है तो मोहब्बत है
वक्त बदलता है
तो उनकी नफ़रत से भी मोहब्बत हो जाती है-
11 APR AT 16:35
जैसे दिन में छाया चाँदनी रात का अंधेरा
रोशनी तो है
लेकिन रोशन सिर्फ़ तनहाई भरा अंधेरा ही है-
9 APR AT 21:55
भले ही ये दिल अब किसी और के पास गिरवी रखा है
लेकिन उधारी आज भी तुम्हारी ही मोहब्बत की है-