थक सा गया हूँ में
उस सड़क पर चलते चलते
जिसके एक पड़ाव पे मोहब्बत की तड़प है
तो दूसरे ही पड़ाव पर नफ़रत की आग
सिर्फ़ बरसात की २ बूँदों से चैन मिलता है
उनकी एक तस्वीर देख कर हंजुओं का जो दरिया सूख चुका है
वो वापस बहने लगता है-
Shashank Rastogi
(Bechain_Shayar 1987)
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नशा आवारगी का
Joined 31 May 2020
13 SEP AT 17:22
23 AUG AT 2:26
लेकिन वही पुरानी उदास कहानी
इस बार अंधेरी रात की ज़ुबानी
अँधेरा चिल्ला चिल्ला कर बुला रहा है
मायूस दिल की धड़कनों को बढ़ा रहा है
कहता है, में भी तनहाई की तरह हर जगह हूँ
एहसासों की तरह रग रग में घुला हूँ-
17 AUG AT 21:31
ज़िंदगी अब कुछ ऐसी हो गई है
मानो जैसे बिना पंखुड़ी का एक गुलाब
जिसमे सिर्फ़ दर्द की खुशबू और काँटें चुब्भने के एहसास बाक़ी रह गए है
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19 JUL AT 5:11
What’s not, and what is fair
I have paid mine, this time it is destiny’s share-
19 JUL AT 5:10
एक आधा भरा, एक आधा खाली मोहब्बत का ग्लास
कभी ना पूरी हीने वाली, वो तड़प, वो उन्हें पेड़ की आड़ में छिप छिप कर ही सही
पर मन भर कर निहार लेने की आस-
18 JUL AT 22:59
राहें इश्क़ की
मंज़िलें मोहब्बत की
सफ़रनामे काँटो के
रास्ते काँच के टुकड़ों के-