Deepshikha skb   (दीपशिखा)
1.2k Followers · 227 Following

read more
Joined 5 April 2018


read more
Joined 5 April 2018
19 APR AT 22:59

२१२२ २१२२ २१२२ २१२
मत कहो तुम अलविदा यूँ दूर जाना किसलिए!
धड़कनें देती सदा यूँ दूर जाना किसलिए!

हाल सब तुमसे बयाँ कुछ भी छुपाया है नहीं,
फिर न हो ऐसे जुदा यूँ दूर जाना किसलिए!

मुस्कुराते चेहरे के पीछे उदासी क्यों भला,
हर ख़ुशी तुझपे फ़िदा यूँ दूर जाना किसलिए!

अब उतारो ख़ामुशी ये हमसे आकर कुछ कहो,
शिकवों की ओढ़े रिदा यूँ दूर जाना किसलिए!

आप आए तो खिली है ज़िन्दगी मेरी 'शिखा',
ख़्याल मेरे गुदगुदा यूँ दूर जाना किसलिए!
-दीपशिखा

-


19 APR AT 9:06

२१२२ २१२२ २१२
कह भी दो मुझसे मुहब्बत है तुम्हें,
रात दिन मेरी ज़रूरत है तुम्हें!

ये छुपाना ये बहाना किसलिए,
इश्क़ करने की इजाज़त है तुम्हें!

अपनी नज़रों को कहो ठहरें ज़रा,
बोलो क्या इतनी सी फ़ुर्सत है तुम्हें!

धड़कनें तुमको पुकारें बारहाँ,
अब बताओ क्या शिक़ायत है तुम्हें!

शायराना दिल ने रख दी बात यूँ,
तुम कहो अब किसकी हसरत है तुम्हें!

बे-वजह क्यों दिल दुखाते हो मेरा,
मुझसे बोलो क्या अदावत है तुम्हें!

हो गयी तैयार प्यारी सी ग़ज़ल,
बस 'शिखा' लफ़्ज़ों से राहत है तुम्हें!
-दीपशिखा

-


11 APR AT 14:11

बैर दिल का मिटाकर ज़रा देखिए,
यूँ गले से लगाकर ज़रा देखिए!

आज के दिन ख़ुदा से करें शुक्रिया,
दिल की गलियाँ सज़ाकर ज़रा देखिए!

चाँद भी हैं यहीं, चाँदनी भी यहीं,
रूख़ से पर्दा हटाकर ज़रा देखिए!

चाँद के दीद से इक ख़ुशी मिल गई,
जश्न दिल से मनाकर ज़रा देखिए!

कीजिए ये इबादत ज़रा आप भी,
ये अक़ीदत जगाकर ज़रा देखिए!

ख़ैर सबकी रहे बस दुआ है यही,
ग़म सभी तो भुलाकर ज़रा देखिए!

है मुबारक घड़ी ईद की ये 'शिखा',
आज मीठा खिलाकर ज़रा देखिए!
-दीपशिखा

-


3 APR AT 15:05

122. 122 122 122
बहारों का मौसम जवाँ हो रहा है,
जो दिल में छुपा था बयाँ हो रहा है।

तुझे भूल पाना नहीं यार मुमकिन,
मुख़ातिब तू ऐ हमनवाँ हो रहा है।

ये मुस्कान तेरी मुझे जाँ से प्यारी,
तू दुनिया मेरी ये, जहाँ हो रहा है।

पनाहों में तेरी सुकूँ की है बारिश,
तेरा दिल ही मेरा मकाँ हो रहा है।

तू है साथ जो खूबसूरत 'शिखा' सब,
इसी बात पे तो गुमाँ हो रहा है।
-दीपशिखा

-


1 APR AT 20:17

22/ 22 22 22
दिल पर अपने हाथ रखो ना,
खुलकर अपनी बात रखो ना!

ये काग़ज़ कितना कोरा है,
इसपर तो ज़ज्बात रखो ना!

आँसू बिखरे मोती जैसे,
कल की गुज़री रात रखो ना!

चिठ्ठी का पतरा खाली है,
‌कुछ भी तुम सौगात रखो ना!

लिपटा इसमें प्यार भी हो जी,
प्यारे से लम्हात रखो ना!
-दीपशिखा

-


1 APR AT 10:39

१२२ १२२ १२२ १२२
तुम्हीं से मुहब्बत हमेशा रहेगी,
ये रिश्ते में जिद्दत हमेशा रहेगी!

हाँ तुम भूल जाओ तुम्हें हक है जानाँ,
हमें तुमसे उल्फ़त हमेशा रहेगी!

करो ना करो ज़िक्र तुम यूँ हमारा,
हमें तो ये आदत हमेशा रहेगी!

बनाया था तुमको ये रब हमने अपना,
सनम हम में क़ुरबत हमेशा रहेगी!

चला था के दिल पर कभी मेरा जादू,
वो लम्हों की कीमत हमेशा रहेगी!

यूँ हो ही न पाए के तुम मेरे अपने,
ये मुझमें तो ख़ल्वत हमेशा रहेगी!

कलम लिख रही है मुहब्बत 'शिखा' ये
लिखी ये इबारत हमेशा रहेगी!
-दीपशिखा





-


25 MAR AT 14:09

२१२२ २१२२ २१२२ २१२
अपने हाथों से ज़रा सा आओ मल दूँ मैं गुलाल
रंग चढ जाए ये तुमपर इश्क़ का पक्का लाल!
-दीपशिखा

-


25 MAR AT 14:05

212. 212. 212. 212
रंग उसने लगाया बड़े प्यार से,
दर्द सारा मिटाया बड़े प्यार से !

खिल उठा गाल पे रंग ये लाल सा,
दिल का कोना सजाया बड़े प्यार से!

चहचहाने लगा मन हुआ बावरा,
चाहतों को जगाया बड़े प्यार से!

आप आओ मैं रंग दूँ ये गाल भी,
साथ वो मुस्कुराया बड़े प्यार से!

मन में तो मैल रखने से क्या फ़ायदा,
आज सबकुछ भुलाया बड़े प्यार से!

रंग पीला भी है और नीला भी है,
भूत सबको बनाया बड़े प्यार से!

होली लाई ये खुशियांँ तो नाचो 'शिखा',
जश्न मिल कर मनाया बड़े प्यार से!
-दीपशिखा

-


22 MAR AT 19:45

१२२ १२२ १२२ १२२
ये हमको मुहब्बत जी करनी नहीं है,
किसी की भी चाहत जी करनी नहीं है!

बिखर हम चुके हैं के अब क्या बिखरना,
हमें अब ये जुर्रत जी करनी नहीं है!

हुए अजनबी वो जिन्हें अपना समझा,
कोई भी शिक़ायत जी करनी नहीं है !

चला ही ये क्यों था के उस राह पर दिल,
हाँ दिल की मुरम्मत जी करनी नहीं है!

सिले हैं ये लब जो हुआ इक तजुर्बा,
ये इनकी तो नुसरत जी करनी नहीं है!

सफ़र ज़िंदगी का ये चलता रहेगा,
मगर अब शरारत जी करनी नहीं है!

ये मतलब के रिश्ते ये नाते 'शिखा' हैं,
लो इनकी ख़िदमत जी करनी नहीं है!
-दीपशिखा

-


20 MAR AT 18:34

122. 122. 122 122
ये सीने से मुझको लगाती बहुत है,
तेरी याद मुझको रुलाती बहुत है!

ये अलसाई रातें के पूछे पता क्यों,
तड़प तो ये मेरी बढ़ाती बहुत है!

के मिल भी न पाऊंँ अजब बेबसी ये,
घड़ी दर घड़ी यूँ सताती बहुत है!

मेरी आह तुझतक पहुँचती नहीं क्यों,
यही बात दिल को दुखाती बहुत है!

करूँ कोशिशें पर भुलाऊँ मैं कैसे,
'शिखा'दिल ये मेरा जलाती बहुत है!
-दीपशिखा





-


Fetching Deepshikha skb Quotes