Nikesh Tanwer   (Unik)
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Joined 15 January 2018


Joined 15 January 2018
10 MAR 2022 AT 23:55

अहम यही है की अहं नही है।

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7 FEB 2022 AT 10:22

भटके भटके जब थक जाओगे,
तो भला वापस कहा जाओगे ?
घर होता तो भी कुछ बात थी,
अब भला सोचो कहा जाओगे ?

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5 FEB 2022 AT 12:15

हम मयखाने के अजीज,
हम पैकार क्या जाने
मशरफ-ए-शमशीर,
हम इश्क़ के पैरोकार क्या जाने

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4 FEB 2022 AT 7:46

मुख्तसर मुलाकात की आस लिए,
हम कब से बैठे है ये सांस लिए

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20 JAN 2022 AT 12:03

भूत के कल के बूत को
पीठ बैठाए जलता है
भविष्य के कल के दूत को
सीने लगाए चलता है
अभागा आज, वर्तमान का
बिना जिए ही ढलता है

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18 JAN 2022 AT 23:04

उनके आंसू को भर कर रजनीगंधा
फैला देती है चारो तरफ

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16 JAN 2022 AT 23:30

जो कहते है की इश्क दोबारा नहीं होता, शायद उन्हें एक बार भी नही हुआ है

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16 JAN 2022 AT 10:21

पढ़ने वाले समाज को बिगाड़ देते है

पढ़ने वाले सोचते है, सवाल करते है, तर्क देते है।
ये समाज सवालों के जवाब देने के लिए नही बने है, यह सिर्फ एक पट्टी पर चलने के लिए बने है। पट्टी बदलती रहती है, पर समाज का आचरण वही रहता है।
मनुष्य एकांक में तार्किक हो सकता है, पर भीड़ में वो भेड़ ही होता है। भीड़ सवाल नही करती, वो केवल अनुसरण करती है। सवाल करने वाले भेड़ की खाल उतारने की कोशिश करने लगते है, और बाकी भेड़ों को ये पसंद नहीं ।
इसीलिए ना पढ़े, ना सवाल करें । एक ही जीवन है, आराम से जिए।

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1 DEC 2021 AT 9:51

मन्नत के धागे
मन्नत के धागे मैंने
मन्नत के धागे
तुझपे ही बांधे मैंने
तुझपे ही बांधे
मिलजा तू मुझको अब तो
किस्मत से आगे
मन्नत के धागे...

(Read full lyrics in caption)
And do comment please

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30 NOV 2021 AT 10:43

बाहर बाहर झांके मनवा, अंदर क्यों न झांके है ।
अंदर अंदर ही भेद सारा, बाहर तू क्या ताके है ।।

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