Sapna Jain   (©Ink Of Emotions)
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Joined 12 January 2017


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Joined 12 January 2017
27 APR 2018 AT 17:38

मकां की गिरती दीवारें
वो जर्जर होती यादें
झुर्रियों वाला आँगन
और लड़खड़ाते कदम
संवर जाते ग़र
वक़्त रहते कोई
इन्हें संभाल लेता

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29 DEC 2017 AT 22:36

Was she bold.
Or a product ready to be sold.

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13 MAY 2017 AT 23:24

लिख रहे हो जितना प्यार तुम
काश उतना जताया होता
तो आज वो तुम्हारे साथ होती

दिखा रहे हो जिस ममता को
काश उसका कर्ज़ चुकाया होता
तो आज वो तुम्हारे साथ होती

बन रहे हो जितना आदर्श आज
काश उस समय उसका साथ निभाया होता
तो आज वो तुम्हारे साथ होती

उमड़ रहें है जो मेघ बदलाव के
काश पहले ये मौसम छाया होता
तो आज वो तुम्हारे साथ होती

भगवान है वो,खुशियाँ उसी से है
काश पहले ये किसी ने समझाया होता
तो आज वो तुम्हारे साथ होती

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26 APR 2017 AT 14:55

मैं दोहपरी ग्रीष्म की
तू ठंडी शाम प्रिये
मैं प्यासा एक बूँद का
तू प्यार की शुरुआत प्रिये

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11 FEB 2017 AT 21:06

चाल ही बदली थी बस
और ज़माने ने चाल चलनी शुरू कर दी
दोष क्या था उनका
जो चाल बदलते ही,गुटबाज़ी शुरू कर दी।


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7 FEB 2017 AT 13:21

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3 FEB 2017 AT 10:49

एक सवाल जो मैं हर रात खुद से करती हूं-
क्या सच में तू बस एक अधूरा ख्वाब है?

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12 JAN 2021 AT 16:58

कितना सुकून मिलता होगा तुम्हें
इन बेजुबानों को मारने के बाद,
कभी हो शब्द तो बताना, क्या हश्र होता तुम्हारा अगर यही बीतता तुम्हारे अपनों के साथ

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29 DEC 2020 AT 17:33

खामख़ा उस इश्क़ की खता हो गए
अनजान थे उस भूल से अब तक
तुम मेरी पहली और आख़िरी वफ़ा हो गए

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29 DEC 2020 AT 17:24

मासूमियत से उसकी,मेरी ज़िन्दगी गुलज़ार है,
झुलसती सी धूप ज़िन्दगी और उसकी बाहें आबाशार है

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