यथार्थ के क़रीब होकर भी समझ नहीं पा रहा हूं
क्या सच क्या झूठ है, लगता सब एक समान है।
दिव्यता धारण नहीं कर पा रहा हूं; जो कि मुझ में है
फ़िर है क्या; जो मैं समझ नहीं पा रहा हूं।-
क्या अमीर क्या गरीब का घर
हर घर दीपो से जगमगाए।
चारो तरफ उजियारा फैले,
सबके चेहरे में खुशियां नजर आए।।-
सफर जो सोचा था तुम्हारे साथ, उसे अकेला ही पूरा किया हर बार,कई बार
-
तू जहाँ भी रहे शाद-ओ-आबाद रहे,
सदके तेरे ,बरबाद हम हुए तो क्या ...!!-
हर हाल में हर समय दो
लोगो में अंतर रह ही जाता है ,
अंतर सतत है सनातन है
सदा सर्वदा रहेगा ,
कभी भी दो व्यक्ति और दो
परिस्थितियां एक जैसी नहीं होती।
इसलिए जिस हाल में हो जैसे हो प्रसन्न रहें
▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪✴ सुप्रभात ✴▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪▪
-
तभी तो कहते हैं हँसा करो
खुश रहा करो
और हाँ...
अपनी मूछों पर ताव फेरा करो
हँसते हुए तुम अच्छे लगते हो...-
शाद हूँ मैं मुद्दतों बाद आज तुम शहर में आई हो
फूल खिल रहे हैं दिल में आज तुम शहर में आई हो
काग़ज़ दिल के मेरे मचल रहे हैं लिख डालूँ शे'र तुझ पर
सुख़नवर मैं ढूंढ रहा हूँ क़लम, आज तुम शहर में आई हो
शीशा भी ऐनक का अपना आज साफ कर दिया है मैंने
दरीचों से चिलमन हटा दिए हैं सारे, आज तुम शहर में आई हो
आज की रात अंजुमन ये सारे महताब भी रश्क करेगा तुमसे
हुस्न-ए-जावेदाँ सब को पता चलेगा आज तुम शहर में आई हो
तन्हा 'सफ़र' ज़ीस्त का मेरा पल भर के लिए फिर आबाद हुआ है
ख़ियाबां खिल उठा है दिल का सनम, आज तुम शहर में आई हो-
ख़ुद को जला कर औरों को शाद किया
मैंने फिजूल ही अपना वक्त बरबाद किया।
ठोकर खाकर जाना के हम ही गलत थे कहीं
अपना एक नया ही रूप मैंने ईजाद किया।
-
आज बज़्म में फिर
तेरा ज़िक्र उठेगा
आज फिर हम तुम्हें,सिर्फ़
अपना कह लेंगे!
सुन,फिर मचल जायेंगे
ये अरमान तुम्हारे रूबरू,
हम एक बार फिर
इस दिल को पत्थर कर लेंगे!
वो फिर कह देंगे आदतन
अपना हमें ,
हम फिर एक बार
जिगर यूँही थाम लेंगे !!
उठ रहा है
मोहब्बत का बवंडर कोई
बारिश कि कोई तूफ़ान
आने को है उधर से’सागर’
सुन,आज हम फिर
एक बार
तेरी यादों का मौसम
शाद कर लेंगे !-