2122 2122 212लिक्खा तूने जो तराना याद हैबज़्म में तेरा छा जाना याद हैभीगी जुल्फें और बारिश का सितमजुल्फों का तेरा सुखाना याद हैशर्म सारी ताक पे रख कर सनमतेरा यूँ नज़रें मिलाना याद हैग़म मसर्रत धूप छाओं का है खेलमुझको तेरा हर फ़साना याद हैज़िन्दगी से वस्ल का था इंतिज़ारमौत का मुझको सताना याद हैडाक चिट्ठी दूरियों का इश्क़ वोक्या "सफ़र" गुज़रा ज़माना याद है -
2122 2122 212लिक्खा तूने जो तराना याद हैबज़्म में तेरा छा जाना याद हैभीगी जुल्फें और बारिश का सितमजुल्फों का तेरा सुखाना याद हैशर्म सारी ताक पे रख कर सनमतेरा यूँ नज़रें मिलाना याद हैग़म मसर्रत धूप छाओं का है खेलमुझको तेरा हर फ़साना याद हैज़िन्दगी से वस्ल का था इंतिज़ारमौत का मुझको सताना याद हैडाक चिट्ठी दूरियों का इश्क़ वोक्या "सफ़र" गुज़रा ज़माना याद है
-
2122 1212 22/112ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई हैछाई चारों तरफ़ उदासी हैचाँद को छत से देख कर मैंनेरात सारी यूँ ही गुज़ारी हैतीरगी और सर्द रातें येहौसलो की श'मा जलानी हैदर्द से मैं कराहता हूँ सदाज़ीस्त में चोट ऐसी खाई हैराज़ अपने सभी बता डालेअब बताने की तेरी बारी हैउम्र भर वो मुझे पिलाता रहाआज साक़ी को मय पिलानी हैतुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरामेरी महबूबा लौट आई है -
2122 1212 22/112ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई हैछाई चारों तरफ़ उदासी हैचाँद को छत से देख कर मैंनेरात सारी यूँ ही गुज़ारी हैतीरगी और सर्द रातें येहौसलो की श'मा जलानी हैदर्द से मैं कराहता हूँ सदाज़ीस्त में चोट ऐसी खाई हैराज़ अपने सभी बता डालेअब बताने की तेरी बारी हैउम्र भर वो मुझे पिलाता रहाआज साक़ी को मय पिलानी हैतुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरामेरी महबूबा लौट आई है
2122 1122 1122 22/112जाने मुझको ये हुआ क्या नहीं याद आता अबचेहरा भी मुझे तेरा नहीं याद आता अबअपने घर का पता मैं भूला हूँ अब फिर सेअपना है कौन पराया नहीं याद आता अबथे दिवाने मेरी ग़ज़लों के तो पहले बहुतइल्म ग़ज़लों का भी कहना नहीं याद आता अबशम्स भी हो गया था मेरा दिवाना इक दिनकौन सा था वो सवेरा नहीं याद आता अबवस्ल मंज़िल से हुई मेरी जाने कैसेरास्ता मुझको "सफ़र" का नहीं याद आता अब -
2122 1122 1122 22/112जाने मुझको ये हुआ क्या नहीं याद आता अबचेहरा भी मुझे तेरा नहीं याद आता अबअपने घर का पता मैं भूला हूँ अब फिर सेअपना है कौन पराया नहीं याद आता अबथे दिवाने मेरी ग़ज़लों के तो पहले बहुतइल्म ग़ज़लों का भी कहना नहीं याद आता अबशम्स भी हो गया था मेरा दिवाना इक दिनकौन सा था वो सवेरा नहीं याद आता अबवस्ल मंज़िल से हुई मेरी जाने कैसेरास्ता मुझको "सफ़र" का नहीं याद आता अब
122 122 122 12मुझे उम्र लंबी नहीं चाहिएक़ज़ा भी तो जल्दी नहीं चाहिएहैं ख़्वाहिश बहुत सारी मेरी ख़ुदामुझे तेरी मर्ज़ी नहीं चाहिएकमाना है महनत से पैसा बहुतज़रा सी भी हानी नहीं चाहिएचुरा ले गए तिफ़्ल का बचपनाउन्हें ज़ीस्त ऐसी नहीं चाहिएमुझे मासुमों को बचाना है अबज़रा भी दलाली नहीं चाहिएमुहब्बत "सफ़र" तेरे बस की नहींतिरे सा ख़्याली नहीं चाहिए -
122 122 122 12मुझे उम्र लंबी नहीं चाहिएक़ज़ा भी तो जल्दी नहीं चाहिएहैं ख़्वाहिश बहुत सारी मेरी ख़ुदामुझे तेरी मर्ज़ी नहीं चाहिएकमाना है महनत से पैसा बहुतज़रा सी भी हानी नहीं चाहिएचुरा ले गए तिफ़्ल का बचपनाउन्हें ज़ीस्त ऐसी नहीं चाहिएमुझे मासुमों को बचाना है अबज़रा भी दलाली नहीं चाहिएमुहब्बत "सफ़र" तेरे बस की नहींतिरे सा ख़्याली नहीं चाहिए
2122 1122 1122 22/112डूबते को मिला हो जैसे किनारा फिर सेयाद आया मुझे वो शख़्स दुबारा फिर सेसारे जुगनू ही चले आये हैं महफ़िल में मिरीचांदनी रात में टूटा कोई तारा फिर सेमुझसे हिज्रां की ये रातें नहीं कटती हमदमसाल इक और बिना तेरे गुज़ारा फिर सेक्यों किसी पे ही बिना बात के दिल आता हैइश्क़ में हो गया दिल मेरा अवारा फिर सेसब अचानक से मिरे पे हो रहें हैं फिदा क्योंमैंने आईने में ख़ुद को ही निहारा फिर सेलौट कर आया "सफ़र" से मैं तो तेरी ख़ातिरख़तरा हो जब कभी तू देना इशारा फिर से -
2122 1122 1122 22/112डूबते को मिला हो जैसे किनारा फिर सेयाद आया मुझे वो शख़्स दुबारा फिर सेसारे जुगनू ही चले आये हैं महफ़िल में मिरीचांदनी रात में टूटा कोई तारा फिर सेमुझसे हिज्रां की ये रातें नहीं कटती हमदमसाल इक और बिना तेरे गुज़ारा फिर सेक्यों किसी पे ही बिना बात के दिल आता हैइश्क़ में हो गया दिल मेरा अवारा फिर सेसब अचानक से मिरे पे हो रहें हैं फिदा क्योंमैंने आईने में ख़ुद को ही निहारा फिर सेलौट कर आया "सफ़र" से मैं तो तेरी ख़ातिरख़तरा हो जब कभी तू देना इशारा फिर से
2122 1212 22शहरे दिल में ये तीरगी क्यों हैपास हो कर तू अजनबी क्यों हैपहले बेख़ौफ़ दिल धड़कता थादिल की धड़कन अभी रुकी क्यों हैलौट कर आ तो तू गई हमदमफिर भी लगती तिरी कमी क्यों हैचाँद को ढक दिया है बादल नेचाँद की आँख में नमी क्यों हैतुम "सफ़र" रौशनी को फैलाओफैली हर ओर तीरगी क्यों है -
2122 1212 22शहरे दिल में ये तीरगी क्यों हैपास हो कर तू अजनबी क्यों हैपहले बेख़ौफ़ दिल धड़कता थादिल की धड़कन अभी रुकी क्यों हैलौट कर आ तो तू गई हमदमफिर भी लगती तिरी कमी क्यों हैचाँद को ढक दिया है बादल नेचाँद की आँख में नमी क्यों हैतुम "सफ़र" रौशनी को फैलाओफैली हर ओर तीरगी क्यों है
122 122 122 122मुझे इल्म जबसे ख़ुदा का हुआ हैमिरी ज़ीस्त की तब हुई इब्तिदा हैसमंदर से कह दो न मुझको डराएख़ुदा मेरी कश्ती का अब नाख़ुदा हैहुआ है मयस्सर सभी कुछ मुझे तोमुझे ज़ीस्त में बस तिरी इक़्तिज़ा हैमैं ग़ज़लों को जीता हूँ लिखता नहीं हूँमिरे दिल में ग़ज़लों का इक गुल खिला हैये मतला ये मक़्ता ये ग़ज़लें ये बहरेंबताओ मुझे, होता क्या क़ाफ़िया हैबिना तेरे ग़ज़लों की महफ़िल थी सूनी"सफ़र" तेरे आने से रौशन समा है -
122 122 122 122मुझे इल्म जबसे ख़ुदा का हुआ हैमिरी ज़ीस्त की तब हुई इब्तिदा हैसमंदर से कह दो न मुझको डराएख़ुदा मेरी कश्ती का अब नाख़ुदा हैहुआ है मयस्सर सभी कुछ मुझे तोमुझे ज़ीस्त में बस तिरी इक़्तिज़ा हैमैं ग़ज़लों को जीता हूँ लिखता नहीं हूँमिरे दिल में ग़ज़लों का इक गुल खिला हैये मतला ये मक़्ता ये ग़ज़लें ये बहरेंबताओ मुझे, होता क्या क़ाफ़िया हैबिना तेरे ग़ज़लों की महफ़िल थी सूनी"सफ़र" तेरे आने से रौशन समा है
2122 1212 22रात की तीरगी में रोता हूँमुद्दतों से जहां में तन्हा हूँख़ार उगाते हो तुम चमन में बसमैं मुहब्बत के बीज बोता हूँतुम अंधेरे की तरह फैले होरौशनी की तरह मैं फैला हूँमैं किसी को समझ नहीं आताबर्फ़ हूँ मैं कभी तो शोला हूँहै अधूरा "सफ़र" बिना तेरेदूर तुझसे मैं जब भी होता हूँ -
2122 1212 22रात की तीरगी में रोता हूँमुद्दतों से जहां में तन्हा हूँख़ार उगाते हो तुम चमन में बसमैं मुहब्बत के बीज बोता हूँतुम अंधेरे की तरह फैले होरौशनी की तरह मैं फैला हूँमैं किसी को समझ नहीं आताबर्फ़ हूँ मैं कभी तो शोला हूँहै अधूरा "सफ़र" बिना तेरेदूर तुझसे मैं जब भी होता हूँ
2122 2122 2122 212हर्फ़ों की बारिश हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीआई अब रुत भी नई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीदफ़्न हैं अपनों के सारे राज़ सीने में मिरेबात दिल में ही दबी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीदर्द सारे ही सभी मैंने उकेरे ग़ज़लों मेंअब क़ज़ा मुझको मिली है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीआग चारों और फैली मेरी तन्हा ज़ीस्त मेंज़िन्दगी भी आतिशी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीइल्म मुझको ग़ज़लों का जिसने दिया वो है कहाँबज़्म में उसकी कमी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीख़िलते इक ही शाख़ से क्यों काँटे भी और गुल सदागर समझनी ज़िन्दगी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीमेरा सब कुछ ही लुटा है इस "सफ़र" के दरमियाँरात ग़म की फिर हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी -
2122 2122 2122 212हर्फ़ों की बारिश हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीआई अब रुत भी नई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीदफ़्न हैं अपनों के सारे राज़ सीने में मिरेबात दिल में ही दबी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीदर्द सारे ही सभी मैंने उकेरे ग़ज़लों मेंअब क़ज़ा मुझको मिली है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीआग चारों और फैली मेरी तन्हा ज़ीस्त मेंज़िन्दगी भी आतिशी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीइल्म मुझको ग़ज़लों का जिसने दिया वो है कहाँबज़्म में उसकी कमी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीख़िलते इक ही शाख़ से क्यों काँटे भी और गुल सदागर समझनी ज़िन्दगी है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरीमेरा सब कुछ ही लुटा है इस "सफ़र" के दरमियाँरात ग़म की फिर हुई है तुम ग़ज़ल सुनलो मिरी
122 122 122 12मुहब्बत का दरिया तो गहरा ही थाजहाँ डूबी कश्ती किनारा ही थाचराग़ाँ जले वास्ते सब के हीमिरी राहों में तो अँधेरा ही थाबताया गया लंबी है ग़म की रातझरोखों से झांका सवेरा ही थासनम तेरी कीमत नहीं समझी थीहमेशा से दिल ये अवारा ही थाजो लागत लगाई थी हारी सभीमिरी ज़िन्दगी में ख़सारा ही थाबहुत दूर सबसे गया है "सफ़र"चमकता हुआ इक सितारा ही था -
122 122 122 12मुहब्बत का दरिया तो गहरा ही थाजहाँ डूबी कश्ती किनारा ही थाचराग़ाँ जले वास्ते सब के हीमिरी राहों में तो अँधेरा ही थाबताया गया लंबी है ग़म की रातझरोखों से झांका सवेरा ही थासनम तेरी कीमत नहीं समझी थीहमेशा से दिल ये अवारा ही थाजो लागत लगाई थी हारी सभीमिरी ज़िन्दगी में ख़सारा ही थाबहुत दूर सबसे गया है "सफ़र"चमकता हुआ इक सितारा ही था