Sofia Khanam   (Sofia ✍️)
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Joined 2 August 2018


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12 HOURS AGO

एक ही तो थे असरानी
जिन्होंने दिल में थी ठानी।
हसाएंगे सबको जी भर के
बात किसी की न मानी।

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19 OCT AT 12:51

Tu zinda hai wallah
Tu zinda hai wallah
Mere chashme Alam se
Chup jane wale.

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16 OCT AT 23:04

बोझ ख्वाहिशों का
उतारूं कैसे।
बिगड़ी हुई क़िस्मत
संवारूं कैसे।
हार के ख़ौफ़ से
लरज़ रही जिंदगी।
जीती हुई बाज़ी
हारूं कैसे।
कटते नहीं लम्हे
तन्हाई के मेरे,
पहाड़ जैसी जिंदगी
गुजारूं कैसे।
गूंजती रही सदाएं
हर सु बस मेरी,
अनसुना करे तो उसको
पुकारुं कैसे।
सोफिया खानम।

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16 OCT AT 22:10

खिलखिलाती हुई आई है।
कुछ शर्माती हुई कुछ
मुस्कुराती हुई आई है।

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13 OCT AT 20:00

जीवन के हर मोड़ पर।
कोई बच नहीं सकता
जा नहीं सकता छोड़ कर।

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13 OCT AT 19:59

ख़ुद करें तो गलती ,दूसरे करें तो गुनाह।

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11 OCT AT 15:04

पढ़ो क़ुरआन।
क्या ये भूल गए हो कि
तुम हो मुसलमान।

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9 OCT AT 21:07

कौन ज़वाब दे।
गुज़री रंजिशों का
कौन हिसाब दे।

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9 OCT AT 21:04

ये रिश्तेदारी।
वरना देखी है हमने तो
अपनों की मक्कारी।

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9 OCT AT 0:12

क्या सब्र करना सिख गए हो।
जो नेमतें मिली हैं उनपर
शुक्र करना सिख गए हो।

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