प्रत्यक्ष ना होने का मतलब ये नही कि वह वस्तु है ही नहीं,
अप्रत्यक्ष से ही प्रत्यक्ष का अस्तित्व है।-
क्या प्रत्य्क्ष ,
क्या प्रमाण है,
जो प्रत्यक्ष है,
क्या..
वो ही प्रमाण है....??-
तुझे तेरी अभिवृद्धि(रूप) के साथ-साथ तेरे विकास(गुण) को भी मनोविज्ञान के आधार
पर लिख दूँ अगर सदा तू प्रत्यक्ष और
साक्षात् रूप में मेरे पास रहे।।-
ख्वाहिशें और हक़ीक़त दोनों एक जैसे है ,
मानो तो सत्य, ना मानो तो प्रत्यक्ष ।-
प्रश्न उठे या नहीं,
किंतु, प्रत्यक्ष एक अंतर है!
मर्त्यलोक मरने वाला है,
पर सुरलोक अमर है!
अमित स्निग्ध निर्धूम शिखा सी
देवों की काया है,
मर्त्यलोक की सुन्दरता तो
क्षण भर की माया है!-
मोहमाया और मृगतृष्णा एक ही जैसे हैं,
जितने सुंदर दिखते है उतने है नहीं।-
प्रत्यक्षता का अभाव,
जीवन में,
गलतियों का क्रम,
बनाता चला जाता है ।
वह क्रम धीरे-धीरे,
पाषाण की भाँति,
अप्रत्यक्ष रूप से,
बहुत कठोर हो जाता है ।
तब उसका क्रम,
खंडित कर पाना,
जीवन में अत्यंत जटिल-सा,
प्रतीत होने लगता है ।
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कि अब फैसला ही नहीं करना है ,
जो करना है प्रत्यक्ष रूप से करना है।।-