Pratikshya Parhi  
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Joined 25 October 2018


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Joined 25 October 2018
13 FEB 2021 AT 8:30

कुछ अधूरे ख्वाबों को समेटकर
वो जिंदगी में आगे बढ़ चुकी थी
मुश्किलों मैं भी वो मुस्कुरा रही है
मगर घाव आज भी गहरी थी।।

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10 NOV 2020 AT 12:33

हर लफ्ज़ बयां हो
ऐसा शिकवा नहीं
हर इंसान वफादार हो
ऐसी गुंजाइश नहीं।।

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26 AUG 2020 AT 17:22

ए जिंदगी तू बहत कुछ सिखा गया
बेवफाई को इस कदर दिखाया
अपनों के अपनेपन में छलक गया
मुझे चूक भर का मौका तक ना मिला।।

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21 JUN 2019 AT 7:34

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3 AUG 2020 AT 11:26

राखी का ये रेश्मी डोर
मेरे प्यार का एहसास है
बड़े सहेज के बांधा है इसे
हमेशा बरकरार रखना।।

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4 JUN 2020 AT 22:34

में बुरी ही सही
अपने हालात में सही हूं
में अकेली ही सही
अपने लिए सही हूं
ना किसी से कोई आशा
या कोई उम्मीदों की किरण
बस अपने ही गगन की पंछी हूं।।

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11 MAY 2020 AT 15:38

मेरी सारी खुशियां
बस तुम्हीं तक है
मेरा दिल और चैन
बस तुम्हीं तक है
मेरे हर वजूद का हिसाब रखना
बस कुछ पल की मोहलत मेरे नाम करना।।

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7 MAY 2020 AT 12:45

यूं तो हजार किस्से है सुनाने को
पर तेरी यादों का किस्सा अनोखा है
यूं तो हजार गम है सुनाने को
पर तेरा दिया हुआ गम अनोखा है
यूं तो जिंदगी दर्द से घिरी है
पर तेरे दिए हुए दर्द का कोई मरहम नहीं है।

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12 APR 2020 AT 15:39

यूं बेवक्त की नाराज़गी सही नहीं जाती
यूं बेवक्त की लड़ाई लड़ी नहीं जाती
माना हम एक दूसरे से दूर है
हर पल मोहब्बत का सबूत मांगोगे
अब नहीं है चाह किसिकी भी
यूं बेवक्त की सफाई दी नहीं जाती।

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1 MAR 2020 AT 22:18

जाने वाले पे किसका जोर नहीं
आने वाले पे किसिका रोक नहीं
शायद यह दुनिया की रीत है
वरना हर कोई छोड़कर जाता ही नहीं।

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