QUOTES ON #पौधे

#पौधे quotes

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13 MAR 2020 AT 21:25

मुलाकातें जरूरी हैं अगर रिश्ते निभाने हैं
लगाकर भूल जाने से तो पौधे भी सूख जाते हैं

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27 FEB 2018 AT 12:54

उग आती है लहलहाके पौधे
मुहब्बत के हो या नफ़रत के
ये जो दिल की ज़मीं है
उपजाऊ बहुत है

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✨✍️छत की वह जगह, पौधे एवं प्यार✨✍️ (बालिका के शब्दों में)

छत की वह जगह जहाँ अक्सर
सर्द हवाओं का आना जाना था।
ठहरती थी कुछ देर वहाँ मैं, मुझे
पता न था, वह मेरा दीवाना था। ...✍️✨

उस दिन वह बोल पड़ा कि "हम
आपका इंतजार करते हैं अक्सर"!
पर आप हैं कि बस मिनटों बिताते
हैं टहलकर यहाँ आकर छत पर! ...✍️✨

इज्ज़त की मालकिन हम जो ठहरे तो
बड़े इज्ज़त से हमने जवाब दिया।
पर सत्य जानने में हमें वर्षों लगा
तब जाकर कहीं बेनकाब किया। ...✍️✨

पता चला कि छत में उगाए पौधों
को रोज पानी देना एवं प्यार हमारा
उन्हें बहुत भाता है तभी वे दिन सारा
वहाँ हमारा इंतजार करते हैं मदहोश। ...✍️✨

अब तो ऐसा है कि उनके माँ पिता
एवं माली हम जो ठहरे कि यदि
हम न हों यहाँ चंद दिनों के लिए तो
जायज है ये पड़े रहेंगे निःशब्द बेहोश। ...✍️✨

पौधों, पेड़ों की देखरेख आवश्यक है
यदि उसे कहीं लगाया है घर पे कहीं।
जीवनदायिनी जो हैं ये हमारे लिए वो
चाहे जंगल, बगीचे में या इर्दगिर्द हो यहीं। ...✍️✨

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23 JAN 2017 AT 16:30

क्यूँ दौडूँ किसी और मंज़िल के पीछे
जब पौधें हैं सिर्फ तेरे प्यार के सींचे

- साकेत गर्ग 'सागा'

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2 JUN 2017 AT 20:18

खुशियों के पेड़ की उस एक छांव के लिए..

सारी जिंदगी जिस ख़ोज में हम चलते रह गए..

उनके बढ़ने का इंतज़ार ही कर लेते तो अच्छा होता..

जिन नन्हे पौधों को रौंद भीड़ में हम बढ़ते रह गए..

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12 JUN 2017 AT 17:46

ख़्वाबों के पौधे हुए बड़े ,

चुनने को फूल दिल ये कहे ।

पर जंगल देख हक़ीक़त का ,

रखने को पाँव अब कौन बढ़े ।

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23 JAN 2021 AT 11:44

पौधे भी खिलखिलाते होंगे,
वो भी आपस में बातें करते होंगे।

कभी इतने शांत कभी तुफान लातें है,
वो भी कभी खुश कभी नाराज होते होंगे।

कभी पानी दे के देखना,
कैसे वो भी अपनी प्यास बुझाते होंगे।

कभी एक खरोंच भी लग जाए,
तो कैसे वो भी रो देते होंगे।

कभी हल्का स्पर्श कर के देखना,
कैसे वो भी प्रेम में खो जाते होंगे।

इतना सबकुछ वो हमें देते हैं,
फिर वो भी शायद हमसे कुछ इच्छा रखते होंगे।

अपने जीवन के लिए मुझे बचाएं रखना,
शायद ऐसा ही कुछ वो हमसे कहते होंगे।

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पेड़- पौधे को काट- काट कर ऐसा उत्पात मचाया है
खुद का ही नाश कर रहे क्यों समझ नहीं आया है
वर्षा कहीं कहीं सुखा कहीं अतिवृष्टि ने घेरा है
देख मानव तेरे कर्मों ने किस राह पर ला छोड़ा है
जीव- जन्तु सभी का आसरा भी तूने उजाड़ा है
कुछ इतिहास बनने पर हैं कुछ को इतिहास बना कर छोड़ा है
ऐसे ही गर चलता रहा कुछ भी ना बच पायेगा
ए मानव अब तो संभलो तुम अब कब समझ आयेगा
पर्यावरण सरंक्षण से ही जीव सरंक्षित हो पायेगा
मानव जीवन भी तभी सुखमय हो पायेगा..!!!!!!!

Date:- 7 दिसंबर 2017

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18 NOV 2019 AT 22:11

कहता है आसमाँ मुझसे,
तू उड़ तो सही मेरे संग।
खुदकी काबिलियत से
वाकिफ़ होना है तू एक
बार छलांग लगा तो सही।

(शेष अनुशीर्षक में)


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1 MAY 2021 AT 14:32

हवा खरीदते फिरते हो दर बदर संसार में
फिर क्यों पेड़-पौधे बेच दिए बाज़ार में

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