कभी आस..कभी आसरा..
कभी प्रेम की दौलत ही होती है,
कभी खुशी..कभी दवा..
कभी ममता की छत ही होती है ।
कभी हिम्मत..कभी ताकत
कभी जीने की हसरत ही होती है,
खुद दर्द पी कर..तुम्हें दुनिया में लाने वाली..
हाँ.. वो एक औरत ही होती है ।।
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किसी की नज़रों में भले कम लगूँ ,
फर्क ना पड़ता मुझे..कुछ ऐसा हुँ मैं।
हाँ जो खुद पे शक हो आये कभी..
बस माँ से पूछ लेता हुँ..कि बता कैसा हूँ मैं ।।-
कुछ बेपरवाह अरमानों ने,
राहों पे हमको भेजा है।
मंज़िल पाने की ललक लिए,
हिम्मत ने हमें सहेजा है।।
दुःख-दर्द के उड़ते तीरों से,
सीना जो छलनी होना है।
अब तीरों की शय्या पर तो,
हर भीष्म को एक दिन सोना है।।-
अब दर्द की परवाह रही किसे..
हँसी को ओढ़े रहना है।
पर अरमानों के पौधों को..
मुरझाने थोड़े देना है ।
बदलाव की लू में हिम्मत का..
ये दरिया ठंडक देता है ।
एहसास की महीन कलम से ये..
आभास भी कुछ लिख लेता है ।।-
अरसे बाद वो कलम उठी..
वक़्त की मिट्टी में जो..
कहीं दफ़न सी हो गयी थी।।
अरसे बाद वो स्याही भरी..
ज़िन्दगी की धूप में जो..
कहीं सूख सी गयी थी।
अरसे बाद वो पन्ने सहेजे..
किताबों के बोझ में जो..
कहीं सिकुड़ से गये थे।
अरसे बाद वो ललक उठी..
शर्म की चादर ओढ़ जो..
कहीं सोई सी रह गयी थी।
अरसे बाद वो शब्द लिखे..
बातों के जंजाल में जो..
कहीं ग़ुम से गये थे।
अरसे बाद पूरी वो कविता हुई..
दुनिया से डर के जो..
कहीं अधूरी सी रह गयी थी।-
ज़ेहन में उतरी हैं यादें,
दबे पाँव और शर्माते ।
गए पलों के गीत सुना,
आँसू देतीं जाते जाते ।।
उन यादों के ही फ़साने हैं,
अब वापिस थोड़े न आने हैं।
इस आज की इज़्ज़त करना तुम,
कल ये भी याद बन जाने हैं।।-
इस बुरे वक्त के लम्हों में..
उधार की मुस्कान ही दे दो जरा ,
आज छत तो नहीं है मुझपे..
सर छिपाने को आसमान ही दे दो जरा ।।
इससे पहले की हताश हो जाऊँ..
आगे बढ़ने को एक अरमान दे दो जरा ,
आज गिरा तो हूँ पर कल फिर उठ पाऊँ..
इन काँपती बाजुओं में वो जान दे दो जरा ।।-
खुश हूँ ,
क्योंकि बेताब हूँ ।
आज अँधेरा है ,
क्योंकि अभी डूबा आफ़ताब हूँ ।।
ज़िन्दगी की जद्दोज़हद में ,
उफनता एक आब हूँ ।
चंद कदम दूर बस है जो सच से ,
आँखों मे मचलता वो ख़्वाब हूँ।।-
लाल खून सा रिश्ता ,
नीले पानी सा निर्मल ,
हरे पत्तों सा ठंडा ,
भूरी मिट्टी सा सौंधा ,
सफेद चाँद सा साथी ,
पीले सूरज सा सख्त ,
दोस्ती वो होली है..
हर दिन जो भिगाये कम्बख़्त ।
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"Bhai Hindi me hi likh diya kr..khud bhi mehnat se bachega..hume bhi bachayega"
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