न हो जब बरसात
किसान के पेट पे लात
हो जब खूब बरसात
कुम्हार के पेट पे लात-
अबकी बार बेटी ने माँ के पेट पर लात न मारी
बल्कि माँ ही ने अपनी बेटी के जीव पर मार दी-
न जाने कितने ही गरीब आधुनिकता की भेंट चढ़ जाते हैं,
पूँजीपति नई मशीनों को अपना मज़दूरों के पेट पर लात मार जाते हैं।-
कुछ सपने तो होंगे उस ग़रीब के
जिसके पेट पे लात तो क़िस्मत मारा करती है।
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पेट पर लात मारने वालों से बस इतनी ही गुज़ारिश है,
इतना ज़ोर से मारना की निशान छप जाये ।
जो रोज़ जला करेंगे, रूह को जलाया करेंगे,
मात की याद दिलाया करेंगे, माफ कभी करने न देंगे,
रातों को नींद के हवाले न करेंगे, दिन में थकान और चैन न देंगे,
उठने की वो इक वजह बने रहेंगे,
उड़ने को मेरे पंख बनते रहेंगे ।।
पेट पर लात मारने वालों से बस इतनी ही गुज़ारिश है,
इतना ज़ोर से मारना की निशान छप जाये ।।
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थामा न किसी ने भी उसका हाँथ
जब पड़ी उसके पेट पर लात
कर रही थी बस तन्हाईयाँ उससे मुलाकात
जब पड़ी उसके पेट पर लात
दे रही थी किस्मत उसे बस मात पर मात
जब पड़ी उसके पेट पर लात
उम्मीद में था कुछ होगा अब ख़ास
जब पड़ी उसके पेट पर लात
प्रार्थना है किसी के साथ न हो ऐसा कभी काश
कि पड़े किसी के पेट पर लात।
-Satty
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पेट पर लात मारना बहुत आसान है
मगर किसी और के पेट के लिए मेहनत करना
यह तो सिर्फ एक माँ या पिता ही कर सकते ।-
मौसम ख़राब है , ख़ाली कनस्तर है
आज फिर पेट पर लात चलेगी
बाहर से भी , अंदर से भी !-
राहुल बाबा ने तो सारी कांग्रेस पर लात मार दी
ये पेट पर लात क्या होता है।-
कचरे के ढेर में रोटी ढूंढते ढूंढते अपना बचपन खो दिया,
मिल न सका उसे बची कूची सुखी रोटी के एक टुकड़े के सिवा, ऐसी दुखद अवस्था देख मेरा अंतर्मन तक रो दिया,
कालिख से लिपटा शरीर शायद कूड़े की गंदगी की वजह से था,
या फिर नंगे तन पे पड़ती सूरज की गर्मी का नतीजा था,
उम्र थी खिलोनो से खेलने की,
बस्ता कंधे पे रख किताबो संग घुलने मिलने की,
पर लाद के बोरे में मजबूरियां तबाह कर रहा था अपना हुनर
क्योंकि लगी थी उस बदनसीब पे अनाथ होने की मोहर,
बचपन गँवा दिया भूखी प्यासी आँखों में एक छोटी सी लालसा के साथ,
क्या पता मिल जाये दो वक़्त का खाना और कोई थाम ले उसके नन्हे पैरों का हाथ,
पैदा न होते ये गर्दिश भरे हालात
और बच जाती लगने से इस मासूम के पेट पे लात।-