बीज बो कर तुलसी के,
तुम बोले फूल खिला नहीं,
दिल लगा बैठे खुदा से,
और कहते हो मिला नहीं।-
मैं उलझी सी एक कली, तू मेरा चैन प्रिये,
मैं गड़गड़ाते बादल सी, तू सुकून-ए-रैन प्रिये|-
तेरी पेशानी, दर मेरा,
तेरे दिल तक, सफ़र मेरा,
भटक लूँ चाहे जहाँ भर,
तेरा होना ही घर मेरा।-
कभी कभी लगता है, ज़िंदगी ही मेरे बस की नहीं,
तक्लीफ़ों में मुस्कुराती हूँ, ख़ुशी में तो हँसती नहीं,
इंसानों के किए शायद मैं एक अतरंगी कहानी हूँ,
इस अटपटी सी दुनिया की तो बिलकुल लगती नहीं।-
दिन में धूप की तड़प मुझमें,
रातों में अंधेरों का सायां है।
जब रात को गले लगाया है,
तब चाँद का साथ पाया है।-
रोज़ ही सा ख़याल है
खुदके वजूद पे उठता सवाल है,
अपने अंदर नमी भरते भरते,
बर्बादी में मुस्कुरा रही हूँ, कमाल है।
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तेरा बहुत कुछ अब तक मेरे पास है,
तू मुझे सब लौटाने की परवानगी दे दे,
तेरा कण-कण सूत समेत वापस करती हूँ,
तू बस मुझसे छीनी हुई मेरी जवानी दे दे।-
वो चाँद को अब भी सताता तो होगा,
तारों से बातें कर मुस्कुराता तो होगा।
मान किया मुझे भूल चुका होगा अब तक,
चाँद उसे कभी मेरी याद दिलाता तो होगा।
कह कर चला गया की अब साथ नहीं हम,
हमारी कहानियाँ मन में दोहराता तो होगा।
हाथ की लकीर में चलो मान लिया वो मेरा नहीं,
अपने हाथ की लकीरें अक्सर खुजाता तो होगा।
वो कैसा दिखता था अब धुंधला याद है मुझे,
मगर मेरा सायां यक्सर उसे सताता तो होगा।
नींद से जीत कर सपने में हिज्र मानता तो होगा।
किसी और धरती पर वो मेरा कहलाता तो होगा।-
धरती पर चाँद ना लाकर,
चाँद पर धरती को पहुँचाया है,
मामा के चरणों में हमने,
भारत माँ का परचम लहराया है।-
मैं तुम्हें कुछ तारे भेजूँगी,
तुम मेरा प्रेम समझकर तोड़ देना,
तारों के टूटने से फिर शायद
प्रेम की ख्वाहिश मुकम्मल हो।
टूटे तारे जोड़ कर फिर,
आसमाँ तक की पगडंडी रचेंगे,
तुम्हारे बिन जीने से शायद,
फ़लक तक का सफ़र सरल हो।-