§ पृथ्वीराज चौहान §
( कविता अनुशीर्षक में )-
हमारा इतिहास ही कहां है
हमारी पहचान ही धूमिल सी
हमने ही वेदों को छोड़ा
अपनी पहचान से नाता तोड़ा
अंग्रेजी बोल कर खुद को ज्यादा तोला
संस्कृत का एक शब्द भी नहीं बोला
वेदों की ओर चलो के नारे गूंजें आसमानों में
पर कानों को हमने उस ओर न जोड़ा
आज हमारे गुरुकुल में संख्या कम होती जाती है
कितनी ऐसी माताएं बहने जो वहां पढ़ने जाती है
हमको तो महाराणा प्रताप से ज्यादा अकबर थे प्रिय
पृथ्वीराज को जानते नहीं
चंदबरदाई को पहचानते नहीं
सोचो अपनी संस्कृति से ही कितने दूर हुए
आज लौटे भी तो आपस में ही सहमति नहीं रखते
हममें से ही कुछ आज भी सावरकर जी को वीर नहीं समझते
गांधी के आदर्श हमें प्रिय हुए
जाने कब सुभाष जी से दूर हुए
भगतसिंह की कुर्बानी का भारत
क्यों नहीं आज भी एकजुट भारत
जिस गुलामी की जंजीरें तोड़ी
आज फिर उसी सभ्यता को मानने क्यों मजबूर हुए-
- सभी को "पृथ्वीराज_चौहान"जी की जयंती
की हार्दिक शुभकामनाएँ ❤
- "इतिहास" "शीर्षक" मे पढे...-
🙏 जय माँ भारती 🙏
तत्कालीन
क्षत्रिय राजा
और भारत माता
के वीर पुत्र
महाराज
पृथ्वीराज चौहान
की जयंती
पर उन्हें
शत शत नमन
🙏🙏-
दस करोड़ कि आँख्यां
क्यूँ नि देख पावे भाषा कौ अपमान ,
गद्दारां सूं मिळ्यौ निजर का अंधकार मेंं
हृदय सम्राट दै ग्यो वीरता कौ प्रमाण ।-
चार बांस चौबीस गज,
अष्ट अंगुल प्रमान!
ता ऊपर सुलतान है,
मत चुके चौहान..!!-
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण
ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान
हिंदुत्व की ध्वजा उज्जवल पृथ्वीराज सम्मान
चोर लूटेरा मुहम्मद गोरी वीर राजपूत महान-
पृथ्वीराज चौहान नै राय पिथौरा भी कहवैं हैं,
महाराजा सोमेश्वर अरु माता कपूरीदेवी-
कै घरां बारा बरस बाद पुत्ररत्न मिल्यो थो,
इशारा-इशारा मैं ही दुश्मण नै हरा दिया था,
"चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूकै चौहाण"
चार बांस मानै 80 फुट और आठ अंगुल-
ऊपर सुल्तान हैं मार देवो, अर काम हो गया,
तीर सीने पे मार्यो अरु सुल्तान पर विजय पाई,
आज पृथ्वीराज की निवाण कै दिण------
💐💐💐💐💐🙏🙏💐💐💐💐💐💐-
वीर शिरोमणि थें भारत माता री शान
संयुक्ता हरी स्वयंवर सूं राख्यो प्रेम रो मान
हाथां ने हथियार बणाय मार्यो नाहर ठाम
आँखा फोड़ी गोरि पाई थां सूं ही जीवनदान
शब्दभेदी बाण चलायो हर लिया दुष्ट रा प्राण
स्वाभिमान रे कारणे तज दिया हाथां सूं प्राण
घणी घणी खम्मा थांने ओ पृथ्वीराज चौहान
-
र राजस्थान का वीर योद्धा
जिसने रचा इतिहास सु हो गया अमर
र म्हारो पृथ्वी ने जीता एसो समर।
कोटेश्वर भगवान की वा यात्रा ! सच है
संयोगिता संग मधुर प्रेम
ले रयो हिवड़ा म उफनाई।
याद आयो स पृथ्वी फेर भावुकता स छाई।
-