मै घणा मूंगा तौ कोनी ,
पण हस मीठा बौळौ तौ ,
समझौ थां का हि हां ॥
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#WeWantRajasthaniRecognition
राजस्थानी रांख्या रेह सी राजस्थान ।
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आज कि दुनियां मतलब पर चाळै ,
औरु मै भरौसा पर चाळ बा वाळौ मिनख हूं !!-
देख भाई , मे सॉस कै साघै नीं
देशी घी कै साघै रोटी खा बा ळा मिनख हा !!-
कोइ दिल्ल ळ्यार बैठ्या है ,
कोइ दिमाग ळ्यार बैठ्या है ,
म्हारै उं मतलब घणु हि है ,
ज्णेइ
म्हारे उं रिश्तो बना र बैठ्या है ॥-
जिन्दगी छोटी है , पण इती भी कोनी
कि थै थां कि , नित काली करळ्यौ !!-
कि दिल्ल मै दबी आ बांतां नै ,
कागद पर उतारी रांतां नै ,
कि काळ आखरी बात हूवैळी ,
प्रीत थारळी छूट ज्यावैळी.......-
मै नीं जानू , मै नीं जानू
मै नीं पिचानू , मै नीं जान
कुन कद कोइ नै प्रेम स्यूं बिळमांवै ,
कुन मतलब काढ , आंतरा उब ज्यावै
सब कि सकळां लागै मन्ने एक सी ,
सब कि मोचडी घसी लागै मन्ने एक सी
कुन कायदा कुन कौळ निभावै
मिनख होड़ मै , तोड़ दिल बेठ्यो दिखै
मै नीं जानू , मै नीं जानू
मै नीं पिचानू , मै नीं जानू !-
दिवाळी री राम राम मानज्यों ,
हेत रा आखर , प्रेम रै भाखर
दिवळै ज्यूं विश्वास रै चांदणै ,
बड़ेरा म्हारी धोक ,
छोटौडा म्हारौ लाड मानज्यों ॥-
हेत , प्रेत अर सेहत कि
घणी बांतां मानै म्हारौ गांव !
सूरज - चंदो , तारा , टीबा
री गोद में रम्तौ म्हारौ गांव !!-
कद खौल्हां मूंडा का ताला नें ,
सरकार तु क्यूँ , खोटी करै म्हाने
दै ऊँचौ गगन म्हारी वाणी नें ,
आ बौली दस करोड़ कंठा कि
तु हिन्दी सूं मत जोड ,
बात कहूं मेंं चुभती
इरै आगे संस्कृत री नि ठोड ॥
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