Nitish Chauhan   (नितिश चौहान)
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Joined 14 November 2019


Joined 14 November 2019
16 AUG AT 17:18

साकार जानना है, कृष्ण को जानो...
निराकार जानना है, कृष्ण को जानो...
संसार जानना है, कृष्ण को जानो...
उस पार जानना है, कृष्ण को जानो...

त्याग जानना है, कृष्ण को जानो...
अनुराग जानना है, कृष्ण को जानो...
प्रेम जानना है, कृष्ण को जानो...
वैराग जानना है, कृष्ण को जानो...

बोध जानना है, कृष्ण को जानो...
क्रोध जानना है, कृष्ण को जानो...
संयम जानना है, कृष्ण को जानो...
प्रतिशोध जानना है, कृष्ण को जानो...

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14 AUG AT 15:42

सादगी कहीं भी हो सकती है,
शिष्टता भी कहीं भी नहीं मिल सकती।
सादगी से जीने/रहने वाले भी अशिष्ट हो सकते हैं,
कुछ शिष्टाचारी सादगी से दूर भी हो सकते हैं।

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14 AUG AT 11:32

One of nicest things I did for myself is focusing on gratitude has shifted my perspective and allowed me to see the good in every situation.

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13 AUG AT 18:30

As sunset's hues upon the sea,
Reflect the peace that's meant to be,
The waves caress the sandy shore,
A soothing melody forever more.
In this calm moment, I feel happiness,
Over all tiny things, my heart finds solace.
The world slows down and I am still,
In harmony with nature's gentle will.

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13 AUG AT 13:18

It's not easy to leave,
but sometimes
it's the only way
to move forward.
People always
say something,
it doesn't matter.
You know better
whether you are
brave or a coward.

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13 AUG AT 12:55

To live a memorable life,
live for the moments,
not for the applause.

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12 AUG AT 11:24

सफल हो जाएँगे हम...
इस वाक्य में
कितनी झूठी सकारात्मकता
को देखा और बताया जाता है..?

लेकिन नहीं देखा जाता
इसमें छिपा हुआ अतिआत्मविश्वास
या आलस्य से भरा हुआ निराधार कथन।

क्या अब भी कहोगे कि
सफल हो जाएँगे हम,
बिना ठोस आधार के
केवल दुष्प्रचार से..?

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12 AUG AT 10:41

When I started to live like there's nothing to lose, I seriously realised that I had nothing to lose.

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11 AUG AT 22:10

प्रेम पहचानते हो?

एक, जो दिन-रात लिपटता है पर छू तक नहीं पाता...

दूसरा, जो छुए बिना ही तुम्हारे भीतर समा जाता है...

– आचार्य प्रशान्त

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11 AUG AT 21:55

जिसके होते हैं, उसके हो जाते हैं
कहने भर से रब्त नहीं मिट पाते हैं
तुम हो जिसके पास, बराबर पूरे हो
उसकी ज़द से रंचक नहीं अधूरे हो
उसके मन से मुक्त नहीं हो पाओगे
चाहे-अनचाहे तुम उसको गाओगे
चाहे जी भर-भरकर उसको कोसोगे
चाहे उसपर अपना प्यार लुटाओगे
तुम जिसके हो गए, हो गए बस उसके
अब हिस्से बांटोगे क्या कितने, किसके
जिसके तुम हो, उसका तुमको रहना है
हम नदियों को सागर तक ही बहना है

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