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बाजहिं बाजन बिबिध बिधाना। सुमनबृष्टि नभ भै बिधि नाना॥
हर गिरिजा कर भयउ बिबाहू। सकल भुवन भरि रहा उछाहू॥
[ अनेकों प्रकार के बाजे बजने लगे। आकाश से नाना प्रकार के फूलों की वर्षा हुई। शिव-पार्वती का विवाह हो गया। सारे ब्रह्मांड में आनंद भर गया। ]-
हर पल हर सांस ,
शिव मै तुमसे प्यार करूँ,
पाणिग्रहण संस्कार होता है ,
सात जन्मो के लिये ,
पर मै कर ,
भक्ति का गठबंधन ,
तुमसे मेरे शिव ,
अपने हर जनम मिलूँ ।
❣😍😍 my Love 😍😍❣
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वर द्वारा मर्यादा स्वीकारोक्ति के उपरांत
कन्या का हाथ वर के हाथ में देना ही
पाणिग्रहण संस्कार नहीं होता है
अपितु
सप्तपदी सप्त वचन के उपरांत
भार्या को तथाकथित बेड़ियों में जकड़ना
भी एक प्रकार के ग्रहण का ही
सूक्ष्मदर्शी आधार होता है-
चार लाइनें.. एक कहानी .. उसकी जुबानी..
सफेद चादर की थी छाप,
गया समाज के खिलाफ,
ओढ़ाई बसन्ती प्रेम चुनर
किया पाणिग्रहण स्वीकार..
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