किसी के बह जाते ,
किसी के रह जाते धरे..
सूखे सूखे से जज़्बात,
नहीं रहे अब खरे..
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वहीं तूलिका है ,वही रंग है
आती नहीं सबको समझ, इसलिए सब तंग है..
किसी के बह जाते ,
किसी के रह जाते धरे..
सूखे सूखे से जज़्बात,
नहीं रहे अब खरे..
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दो लाइनें एक कहानी ..
करता था रोशन अंगना का सूरज,
चांद पे अटका और दाग लगा आया..
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हां बस अपनों के लिए अपने अहसास नहीं बदलते ..
वैसे बदलना तो प्रकृति का नियम है ही ..
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फिर होगा फोटोशूट, स्क्राल होंगे स्टेटस,
पिता के नाम जो है आखिर आज का दिवस..
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कितना कुछ भरा पड़ा दिल के ड्राफ्ट में,
सोच रही साल बदलने से
पहले तुम पर सब उड़ेल कर
खुद को
कर जाऊं
मैं खाली..
ओवरलोड होने लगी अब स्टोरेज..-