प्रेम हमेशा जीवित रहता है,
दूर जाकर
पुनः लौट आना, प्रेम के पास
उसी प्रेम के साथ,
प्रेम की पराकाष्ठा है....-
गूढ़ मौन विवाद,
असंख्य सवालों का बहाव ,
रहस्यमयी गुत्थी बुनते है ना ..?
प्रकृति की उत्कंठा में ..-
क्या कोई प्रेम की पराकाष्ठा को माप पाया है ...???
प्रेम संयोग में जितना असीम एवं निश्छल कलकल सा बहता है और
वियोग में उतना ही अनंत और अंतहीन सागर सा अविरल हो जाता है।।-
दुनिया की सबसे
खुबसूरत कविता इक माँ
ही लिख सकती है
जिसमें निस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा
का चित्रण होगा।।
©️सुकान्त🪐-
स्नेह बाहुपाश में ऐसे सिमटे
कतरा कतरा बन हम बह निकले
प्रणय की विचलित लहरों में
प्रेम पराकाष्ठा को हम छू बैठे-
भावनाओं के अतिरेक में
प्रेम की पराकाष्ठा पर
ममत्व के वात्सल्य में
नैसर्गिक सौंदर्य को देख
स्नेहिल स्पर्श की अनुभूति पर
भाषाएँ गौण हो जाती हैं
भाव सर्वोपरि हो जाते हैं !!
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प्रेम ..
जीवन में वृद्धि के नियम की पराकाष्ठा है ।
..
इसमें ह्रास का नियम होता ही नहीं !-